इस नेता के कांग्रेस में जाने से, कांग्रेस "मेजा" में कितनी होगी मजबूत ?

चुनावी दंगल शुरू हो चूका है. नेताओं ने पाले बदलने शुरू क्र दिए हैं. भाजपा से जहाँ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और तत्कालीन योगी सरकार में काबीना मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भाजपा से इलाहाबाद लोकसभा से प्रत्याशी हैं तो वहीं कांग्रेस ने प्रत्याशी के तौर पर पूर्व वरिष्ठ भाजपा नेता और यमुनापार के गाँधी कहे जाने वाले योगेश शुक्ल को मैदान में उतार दिया है.
जैसे जैसे चुनावी पारा बढ़ रहा है नेता और कार्यकर्ता छिटक रहे हैं. पिछले दिनों जिला के एक कांग्रेसी नेता ने भाजपा का दामन थामलिया तो वहीँ  भाजपा के सोशल मीडिया पैनलिस्ट के कांग्रेस का दामन थमने की खबरें भी आयी. हालाँकि कांग्रेसी नेता के भाजपा में जाने के बाद कई बयान तक आए की "भाजपा को अकेले दलबदलू कांग्रेसी ही जीता देंगे पुराने भाजपाइयों की क्या जरूरत"
फिर भी देखा जाए तो मेजा में भाजपा ज्यादा मजबूत दिख रही है. देश प्रदेश में लोग "मोदी" के चेहरे की वजह से भाजपा के साथ दिख रहे हैं और कांग्रेस को जनता का साथ तो छोड़िए जिला कमिटी संगठित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या बड़े चेहरे के तौर पर उभर सकते हैं "आशीष मिश्रा" !!
जिस तरह से मेजा में कांग्रेस खाली दिख रही है और योगेश शुक्ल के कांग्रेस में जाने के बाद कई भाजपाई भी उनके व्यक्तित्व और छवि को देखते हुए कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. इसके हिसाब से कांग्रेस कहीं ना कहीं फिरसे अपना खोया हुआ वजूद पा सकती है. रही बात मेजा की तो बाबा तिवारी के भाजपा में शामिल होने के बाद भविष्य को देखते हुए संगठन से जुड़े और विधायिका नीलम करवरिया के करीबी आशीष मिश्रा कांग्रेस में शामिल होते हैं तो कहीं ना कहीं योगेश शुक्ल के साथ कांग्रेस भी मजबूत हो सकती है.
कारण : -
* जिस तरह से विधानसभा के पहले आशीष मिश्रा की जनता में पैंठ थी और इसको आंकते हुए खुद करवरिया परिवार ने उनसे बात क्र समर्थन की मांग की थी. उसके बाद कहीं ना कहीं आशीष मिश्रा का कद जिला में बढ़ा था.

* ब्लाक प्रमुखी का चुनाव और माहौल टालम टोल होते देख, जिस तरह से आशीष मिश्रा की रणनीति ने चुनाव को ना ही सिर्फ एक तरफा बनाया बल्कि अंत होते होते "निर्विरोध" तक का सफर भी तय करवाया. उसके बाद जिला इकाई में इनको और तवज्जो दी गयी, और उदयभान करवरिया के करीबी में गिनती होने लगी.
* दिन रात जनता में पिछल 7-8 बरसों से कोई रहा तो वो आशीष मिश्रा को ही देखा गया (फेसबुक की गतिविधियों से पता लगाया गया). गोली कांड, नोट बंदी, हक की लड़ाई में दिन रात एक करने के बाद जो जनाधार आशीष मिश्रा ने स्थापित किया वो उनके कद को बढ़ाता है.
और अब जब वो योगेश शुक्ल के समर्थन में कांग्रेस की डोर संभालते हैं तो बेशक एक वर्ग द्वारा विरोध होगा. लेकिन पार्टी से ऊपर उठ देखा जाए तो उनके व्यक्तित्व को देखते हुए एक बड़ा वर्ग उनके साथ आ सकता है. इससे कांग्रेस ना ही सिर्फ योगेश शुक्ल मजबूत होंगे बल्कि मेजा में एक बड़ा चेहरा कांग्रेस को मिल सकता है. जसिका प्रयोग आने वाले विधानसभा में भी कांग्रेस क्र सकती है. हालाँकि अभी तक ये ना आशीष मिश्रा के तरफ से स्पस्ट किया गया और ना ही योगेश शुक्ल के तरफ से|

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