सरकार के रिकॉर्ड से गुम हो गया इस गांव का नाम, 8 साल में हुआ ये हाल

आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि छत्तीसगढ़ में एक गांव ऐसा भी है जहां के गरीबों व ग्रामीणों को केंद्र व राज्य शासन की योजनाओं का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है। दरअसल सर्वे सूची में नाम शामिल न होने के कारण एक भी योजनाओं का लाभ ये नहीं उठा पा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ का बिह्ला ब्लॉक, जो देश के नक्शे पर सबसे बड़े ब्लॉक के रूप में शुमार है। इसी ब्लॉक में तिरैया नाम का गांव है। यहां की आबादी दो हजार 560 के करीब है। वर्ष 2011 में जब केंद्र सरकार के निर्देश पर देशभर में आर्थिक जनगणना का कार्य शुरू किया गया था तब जिला प्रशासन ने अन्य गांव की तर्ज पर इस गांव में जनगणना कार्य के लिए शिक्षकों व पटवारियों की ड्यूटी लगाई गई थी।
सरकारी महकमे ने जनगणना तो किया पर डाटा उपडेशन में जमकर लापरवाही बरती। नतीजा केंद्र सरकार के पास इस गांव के गरीबो की सूची ही नही पहुंची। इसके चलते केंद्र सरकार की सूची में तिरैया के गरीबों का नाम ही दर्ज नहीं हुआ। आलम ये कि यहां के 1500 गरीबों को केंद्र सरकार की एक भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं से यहां के डेढ़ हजार गरीब अब भी अछूते हैं। गौर करने वाले बात ये की यह गांव बिह्ला विधानसभा क्षेत्र में आता है। तब यहां का भाजपा शासनकाल में यहां के भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक तब विधानसभा के अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज थे। अभी वे प्रदेश भाजपाध्यक्ष के साथ ही नेता प्रतिपक्ष के पद पर काबिज हैं।पीएम नरेंद्र मोदी की अतिमहत्वाकांक्षी योजनाओ में पीएम आवास और पीएम उज्जवला योजना को शामिल किया गया है । अचरज की बात ये की झोपड़ी में रहने वाले गरीब भी इन योजनाओं से कोसों दूर हैं।

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