पहले दांत थे तब चना नहीं, अब चना है, लेकिन दांत नहीं : भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता कैसी हो इस पर चर्चा नहीं हो पाती।. लोग अपने विभागों को छोड़कर दूसरा काम कर रहे हैं, क्योंकि काम बहुत ज्यादा है। जैसे पुलिस वाले वाकई अपने विभागों का काम नहीं कर पाते लेकिन अन्य काम करते हैं। वैसे ही सभी विभागों में है। उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा का स्तर कितना सुधरा है, जब तक तुलना नहीं करेंगे, तब तक प्रगति नहीं कर पाएंगे। तुलना अगर होगी तो अपनी स्थिति का अंदाजा लग पाएगा। मुख्यमंत्री ने रूम टू रीड के सहयोग से बालिकाओं से जुड़ी शिक्षा विभाग की 20 योजनाओं का शुभारंभ किया।
परियोजना विजयी के अंतर्गत राजीव गांधी शिक्षा मिशन की ओर से राजधानी के न्यू सर्किट हाउस में हुई राज्य स्तरीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारे स्वागत में पुस्तक दी गई हैं, मैं सोच रहा हूं कि इसका उपयोग कैसे किया जाए। विभाग में काम बहुत है। फिर बोले, पहले दांत था तब चना नहीं और चना है तो दांत नहीं, मतलब पहले टाइम था तो पुस्तक नही था अब पुस्तक है तो समय नहीं है। मुख्यमंत्री विजयी, निखार, ई-समीक्षा, सीएम शहरी साक्षरता कार्यक्रम, बालिकाओं को जीवन कौशल की शिक्षा देने, पांचवी-आठवीं के बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं लगाने सहित स्कूल शिक्षा विभाग के 20 योजनाओं का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारे बच्चे बहुत मेधावी हैं। इसका उदाहरण अबूझमाड़ है, यहां के बच्चे जब पढ़ना शुरू किए तो 5वीं में 7 बच्चे मेरिट लिस्ट में आए थे। खास बात कि उस क्लास में 7 ही बच्चे थे। बच्चों को अवसर देना होगा। बच्चों की काबलियत को पहचानना होगा। नरुआ, गरुआ के लिए सभी विभागों का सहयोग ले लेंगे। वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह ने कहा कि बालिकाओं की शिक्षा कैसे सशक्त की जाए इसके लिए चिंता हो रही है। स्कूल और शिक्षा जगत का वातावरण को पढ़ने के लिए हम बच्चों को कैसे आकर्षित करें, इसमें विचार नहीं होगा तब तक योजनाएं सफल नहीं होंगी। 

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