विधानसभा में सुरेश भारद्वाज और वीरभद्र सिंह में हुई नोकझोंक, ये रही वजह

 
शिक्षा पर लाए गए कटौती प्रस्ताव के दौरान शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह में नोकझोंक हुई। शिक्षा मंत्री के जवाब से असंतुष्टि जताते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा बजट में सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें कहीं गई हैं।
धरातल पर हुआ कुछ नहीं है। भाजपा की नीति शिक्षा विरोधी है। उन्होंने सरकार को खुले मन से काम करने की नसीहत दी। वीरभद्र सिंह के शिक्षा विरोधी आरोप लगाने पर शिक्षा मंत्री भड़क गए।
उन्होंने कहा वीरभद्र सिंह वरिष्ठता का अनुचित लाभ लेते हुए सरकार पर इतना बड़ा आरोप लगाए रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शिक्षा का बेड़ा गर्क हुआ है। विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले 21 कॉलेजों को बिना वित्त महकमे की मंजूरी के खोला गया।
कांग्रेस की नीतियों के कारण ही शिक्षा में गुणवत्ता घटी है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में कमी आई है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस राज में हुई 21 कॉलेजों को खोलने की घोषणा में से 16 कॉलेजों को शुरू कर दिया है।
पांच कॉलेजों में न तो इनरोलमेंट हुई और न ही इनके लिए आधारभूत ढांचा है। सरकार इन कॉलेजों को भी बंद नहीं करेगी। भविष्य में इन्हें खोलने की संभावना पर विचार किया जाएगा। उन्होंने वीरभद्र सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि पवाबो और ज्यूरी कॉलेज न खुलने का इन्हें मलाल है।
इसके चलते ही सरकार पर गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। उधर, शिक्षा मंत्री के जवाब से पहले वीरभद्र सिंह ने कहा, कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कॉलेज खुले हैं। जनता को इसके लिए संघर्ष करना पड़ा है। जहां कॉलेज खुले हैं, वहां भी अभी तक भवन बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है और न ही शिक्षकों की नियुक्तियां की गई हैं।

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