'लाभ के पद' का भ्रम दूर करेगी मोदी सरकार

  • मोदी सरकार 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' यानी 'लाभ का पद' की स्पष्ट परिभाषा तय करने के लिए एक संविधान संशोधन पर विचार कर रही है। इसके तहत बताया जाएगा कि कौन सी श्रेणियां इसके दायरे में नहीं होंगी।
  • साथ ही, ऐसे किसी भी पद से जुड़ी शर्तों को साफ-साफ बताया जाएगा। करीब एक दशक पहले लाभ का पद से जुड़े विवाद में सोनिया गांधी को संसद की सदस्यता और नैशनल अडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
  • ड्राफ्ट अमेंडमेंट में उन पदों को इसके दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव है, जिन पर केंद्र या राज्य लोगों को 'सलाहकार' की हैसियत में नियुक्त करते हैं। साथ ही, विपक्ष के नेता, मुख्य सचेतक जैसे विधायी जिम्मेदारियों वाले पदों को भी लाभ का पद से जुड़ी अयोग्यता के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव है।
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  • अनुच्छेदों 102 और 191 के तहत 'लाभ का पद' की परिभाषा तय करने के लिए संविधान संशोधन के इरादे से एक विधेयक पर संबंधित मंत्रालयों के बीच चर्चा का दौर हाल में शुरू किया गया है।
  • इसके जरिए यह तय किया जाएगा कि किन चीजों से कोई पद लाभ का पद माना जाएगा, जिससे विधायिका के किसी सदस्य की स्वतंत्रता पर आंच आ सकती है और किन चीजों से ऐसा कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 

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