हरियाणा में वॉकओवर लेने जा रही भाजपा को क्या रोक पाएगी हुड्डा-शैलजा की ताजपोशी?

हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है। इस परिप्रेक्ष्य में अगर प्रदेश के राजनीतिक दलों की हलचल देखें तो उसमें भाजपा खुद को सत्ता की दौड़ में दूसरे दलों के मुकाबले काफी आगे मानकर चल रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला तो साफतौर पर कहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की मनोहरलाल खट्टर सरकार को आसानी से वॉकओवर मिल जाएगा। पहले हमारा लक्ष्य 90 में से 75 सीटें जीतना था, अब वह लक्ष्य 80 के पार जाता हुआ दिख रहा है। दूसरी ओर, बुधवार को कांग्रेस पार्टी ने कुमारी शैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर दलित राजनीति और गैर-जाट राजनीति का कार्ड खेलने का प्रयास किया है। पिछले दिनों पार्टी छोड़ने की धमकी दे चुके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी विधायक दल का नेता और चुनावी प्रबंधन समिति का चेयरमैन बनाकर उन्हें खुश करने का प्रयास किया है। अब ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या हुड्डा-शैलजा की ताजपोशी हरियाणा में वॉकओवर लेने जा रही भाजपा को रोक पाने में सफल होगी या नहीं। 

प्रदेश की राजनीति पर लंबे समय से लिख रहे रविंद्र कुमार बताते हैं, अगर हरियाणा में आज भाजपा नेता यह दावा कर रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें वॉकओवर मिलने जा रहा है। भारी बहुमत से एक बार फिर भाजपा सरकार बनेगी तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर नजर डालें तो मालूम होगा कि इससे पहले इतनी राजनीतिक शून्यता (विपक्षी दलों के लिहाज से) कभी नहीं महसूस की गई। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दस में से दस सीट जीतकर विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया था। 

हैरानी की बात है कि इस नतीजे से सबक लेने के बजाए प्रदेश के विपक्षी दल टूट-फूट के रास्ते पर आ गए। प्रदेश में दमदार विपक्ष की भूमिका निभाने वाली इनेलो आज हाशिये पर हैं। इनेलो से किनारा कर अजय चौटाला के पुत्र और पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने जजपा का गठन कर लिया है। पिछले दो माह के दौरान प्रदेश में करीब डेढ़ दर्जन पूर्व मंत्री और विधायक भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं। अगर भाजपा का दामन थामने वाले जिला स्तरीय दूसरे नेताओं की बात करें तो यह संख्या हजारों में पहुंच गई है। 

भाजपा नेताओं की मानें तो अभी भी पार्टी ज्वाइन करने वालों की लंबी लाइन लगी है। इस वजह से पार्टी को नई ज्वाइनिंग के लिए कुछ नियम बनाने पड़े हैं। कांग्रेस पार्टी का हाल भी सबके सामने है। विधानसभा चुनाव सिर पर है और कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष अब तय हो रहा है। बतौर रविंद्र, प्रदेश में इस बदलाव का असर केवल हुड्डा खेमे में देखने को मिल सकता है, वह भी दो तीन जिलों की गिनती की सीटों पर। इससे ज्यादा कुछ नहीं। 
जाट-गैर जाट राजनीति के भूत से किस तरह पीछा छुड़ाएगी कांग्रेस
प्रदेश की राजनीति के दूसरे जानकार चंद्रप्रकाश कहते हैं, प्रदेश में आज भी जाट और गैर जाट राजनीति हावी है। 2016 में आरक्षण के नाम पर प्रदेश में जो दंगे हुए थे, उनका राजनीतिक फायदा लेने वाले दलों की बात करें तो उसमें भाजपा अव्वल है। इनेलो और कांग्रेस, इस बाबत जब तक कुछ सोचते, तब तक इन दलों में आपसी तनाव चरम पर जा चुका था। लोकसभा चुनाव से पहले जाट-गैर जाट वोटरों को लेकर जो कयास लगाए गए, चुनाव परिणाम के बाद वे पूरी तरह फिट बैठे नजर आए। भाजपा ने न केवल गैर जाट वोट, बल्कि जाटों के वोट भी ले लिए। 

अब प्रदेश में बड़े पैमाने पर जाट समुदाय के नेता भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अब जाट नेता का ठप्पा लग चुका है। कुमारी शैलजा का कभी भी प्रदेश की राजनीति में कोई प्रभाव नहीं रहा। उन्हें गैर जाटों में भी एक जमीनी नेता के तौर पर नहीं देखा गया। हुड्डा जो कि कांग्रेस में बागी हो चले थे, अब उन्हें हरियाणा विधानसभा चुनाव में चुनाव अभियान कमेटी का चेयरमैन और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल का प्रधान बनाया गया है। देखने वाली बात यह है कि जब विधानसभा भंग होने में ही मात्र एक सप्ताह बचा है तो ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस पद का फायदा कैसे उठा सकते हैं। 

जाट वोटर जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दूर जा रहा था, वे उसे बहुत ही सीमित तौर पर रोक सकते हैं। वह भी रोहतक, सोनीपत और झज्जर आदि जिलों में ही। कांग्रेस अगर यह समझती है कि वह भाजपा को वॉकओवर की स्थिति से दूर ले जाएगी तो यह केवल एक वहम होगा। विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस बार दोहरा फायदा हो सकता है। गैर जाट वोटर तो पहले ही भाजपा के पाले में है, जबकि अब जाट समुदाय भी बड़े पैमाने पर भाजपा की ओर शिफ्ट हो रहा है।  

भाजपा को हर जाति धर्म का मिल रहा समर्थन

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 18 अगस्त को चुनावी शंखनाद कर प्रदेश के सभी क्षेत्रों में रथ यात्रा शुरू की थी। जन आशीर्वाद यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री पिछले एक पखवाड़े के दौरान कर्मचारियों और युवाओं के साथ साथ विभिन्न वर्गों के लिए दर्जन भर से अधिक बड़ी घोषणाएं कर चुके हैं। यात्रा के जरिए उन्होंने लोगों से सीधे संवाद किया है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने करोड़ों रुपये की योजनाओं का शिलान्यास भी किया है। 

हरियाणा भाजपा के प्रधान सुभाष बराला कहते हैं, प्रदेश के लोगों का इस रथयात्रा को जो अपार स्नेह और समर्थन मिल रहा है, उससे देखकर लगता है कि आगामी विस चुनावों में भाजपा 75 पार के अपने नारे से कहीं आगे न निकल जाए। प्रदेश में सभी विपक्षी दल हाशिये पर हैं। सभी वर्गों ने भाजपा सरकार की नीतियों पर भरोसा जताया है। यही वजह है कि हम इस चुनाव को खुद के लिए वॉकओवर मानकर चल रहे हैं। 

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