मोदी के कामकाज से संघ संतुष्ट, समन्वय बैठक अगले सप्ताह

केन्द्र में भारी बहुमत से सत्ता पाने के ठीक तीन महीने बाद जब पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार अपने 100 दिनों का रिपोर्ट कार्ड पेश करने जा रही है, एसे में संघ ने भी सरकार के साथ साथ बीजेपी (BJP) के रिपोर्ट कार्ड पर मंथन करने की तैयारी कर ली है. राजस्थान के पुष्कर में संघ (RSS) और बीजेपी की समन्वय समिति की बैठक होने जा रही है. सितंबर 7 से 9 तक चलने वाली तीन दिनों की इस बैठक में मंथन होगा सरकार के काम काज पर और इस बात पर संघ के एजेंडा को पूरा करने में किस हद तक सफलता मिली है. बैठक में पीएम मोदी भले ही शामिल न हों लेकिन इतना तो तय है कि कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ( Jagat Prakash Nadda), संगठन महामंत्री बीएल संतोष ( B L Santosh) बीजेपी की तरफ से हिस्सा लेंगे. संघ का तो पूरा शीर्ष नेतृत्व पुष्कर में मौजुद रहेगा. सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) , सरकारवाह भैय्याजी जोशी ( Bhaiya Ji Joshi) समेत संघ और सरकार के बीच समन्वय का काम देखने वाले कृष्ण गोपालजी ( Krishna GopalJi) और दत्तात्रेय होसबोले (Dattatray Anbhule) मौजुद तो होंगे ही. उधर सरकार के एक दो मंत्रियों को भी बुलाया जा सकता है जिनके मंत्रालयों में संघ के एजेंडा को पूरी तरह से लागू कराना एक बड़ा लक्ष्य है.
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पूरा संघ परिवार एक साथ बैठेगा
अमूमन संघ और बीजेपी की समन्वय बैठकें हर 6 महीने पर होती रहती हैं. 2014 में मोदी सरकार बनने के चंद महीने के बाद ही दिल्ली के मध्यप्रदेश भवन मध्यांचल में दो दिनों की संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक हुई थी. इस बैठक में आधे दर्जन केन्द्रीय मंत्रियों को भी बुलावा भेजा गया था, जिसमें उनके मंत्रालयों के काम काज पर भी मंथन हुआ था और एजेंडा पूरा करने की नसीहत भी दी गयी थी.
बैठक की महत्ता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उस बैठक में संघ का शीर्ष नेतृत्व पूरा समय मौजूद रहा और उनके साथ साथ पीएम मोदी ने भी बैठक के आखिरी सत्र में शिरकत की थी. लेकिन इस बार पुष्कर में पूरा परिवार साथ बैठेगा तो राहत साफ देखी जा सकेगी. इस बार न सिर्फ लोकसभा में भारी बहुमत है बल्कि राज्यसभा मे भी बीजेपी की तूती बोल रही है. कांग्रेस बिखरी है जिन्हें एजेंडे के साथ साथ नेतृत्व का भी संकट है. इसलिए संघ को भी लग रहा है कि विचारधारा से जुड़े अपने एजेंडा को लागू करना मुश्किल साबित नहीं होगा.
मोदी सरकार का अभिनंदन भी हो सकता है
संघ की विचारधारा से जुड़े तीन बड़े एजेंडे थे- एक धारा 370 समाप्त करना, दूसरा समान आचार संहिता, तीसरा राम मंदिर. पुष्कर की ये बैठक मायने इस लिए रखती है कि पहली बार संघ के तीन प्रमुख एजेंडों में से एक धारा 370 समाप्त करने का काम मोदी सरकार ने पूरा कर दिया है. कश्मीर में भगवा लहराने का एजेंडा पूरा करने में बीजेपी आलाकमान भी लग गया है. परिसिमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव होंगे तो उम्मीद की जा रही है कि कश्मीर से ज्यादा विधायक जम्मू इलाके से हो जाएंगे और मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा. अब संघ परिवार के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है. सूत्र बता रहे हैं कि पुष्कर की समन्वय बैठक में धारा 370 पर भी प्रस्ताव पारित हो सकता और इस बड़े फैसले के लिए मोदी सरकार का अभिनंदन भी किया जा सकता है. संघ जानता है कि अब सरकार अपनी पीठ भले ही ना थपथपाए, मोदी सरकार के मंत्री ताल भले ही ना ठोकें, संदेश पूरे देश में जा चुका है.
कुछ और मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
साथ ही संघ अब अपने बाकी बचे मुद्दों पर भी बीजेपी और सरकार को अपने कदम आगे बढाने को कह सकता है. संघ के दूसरे एजेंडा राम मंदिर निर्माण था जिसमें मध्यथता भले ही असफल रही हो लेकिन उच्चतम न्यायलय में बहस चल रही है और संघ चाहेगा कि इसका निपटारा इसी बैंच में हो जाए. साथ ही जनसंख्या नियंत्रण और समान आचार संहिता जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय जैसे विभाग हैं जहां संघ को खासा काम करना बाकी है. इसलिए संघ का शीर्ष नेतृत्व इनके लिए खासा होमवर्क भी तैयार रखेगा. अभी कितने सत्रों में चलेगी ये बैठक ये साफ नहीं हुआ है लेकिन संघ के सूत्र इतना जरुर साफ कर रहे हैं कि पार्टी और सरकार से कम ही लोग हिस्सा लेंगे.

इसके समन्वय बैठक के ठीक बाद संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक 17 से 19 सितंबर को कोयंबटुर में होगी. इस बड़ी बैठक में जो भी फैसले लिए जाएंगे,उनका अगले साल मार्च में होने वाली संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में अनुमोदन किया जाएगा.

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