कश्मीरियों के उत्पीड़न वाली बीबीसी की रिपोर्ट पर क्या बोली बीजेपी

भारत प्रशासित कश्मीर में आम लोगों के कथित उत्पीड़न से जुड़ी बीबीसी की एक रिपोर्ट पर भारत की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस तरह के आरोपों का खंडन किया है.
बीबीसी ने हाल में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें कश्मीर के कई लोगों ने सुरक्षाबलों पर मारपीट और उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. लोगों ने बीबीसी पत्रकार को अपने ज़ख्म भी दिखाए. हालांकि सेना ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है. हालांकि बीबीसी इन आरोपों की पुष्टि अधिकारियों से नहीं कर पाया.
अब बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने अपनी पार्टी की ओर से इस आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा, "सबसे पहले, मैंने रिपोर्ट देखी नहीं है, मैंने इसके बारे में इंटरनेट पर पढ़ा है. रिपोर्ट ख़ुद कहती है कि इन दावों की पुष्टि नहीं हो सकी है. इसलिए इस पर अभी यकीन कर लेना मुश्किल है."
हालांकि उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई घटना होती है तो भारत में एक मज़बूत न्यायिक व्यवस्था है और अगर मामला सही हो तो सेना से जुड़े लोगों को भी सज़ाएं हुई हैं.
बीबीसी ने इन आरोपों के बारे में सेना से भी पूछा था. जिसके जवाब में सेना ने कहा कि उसने किसी भी नागरिक के साथ मारपीट नहीं की थी.
सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा था कि ऐसा कोई आरोप उनके संज्ञान में नहीं आया है. उनके मुताबिक, "संभव है कि ये आरोप विरोधी तत्वों की ओर से प्रेरित हों."
बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली का भी कुछ ऐसा ही कहना है. उन्होंने कहा कि ये असामान्य नहीं है कि कई बार किसी राजनीतिक दबाव में कई वजह से लोग सुरक्षाबलों के ख़िलाफ़ इस तरह के झूठे दावे करते हैं.
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इस पर जब उनसे पूछा गया कि क्या ये आरोप मनगढ़ंत हो सकते हैं? तो उन्होंने कहा कि ये मुमकिन है.
नलिन कोहली ने कहा, "क्योंकि आज जब हम बात कर रहे हैं, ये ख़बर कहीं आई नहीं है लेकिन जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों, चरमपंथियों या आतंकवादियों ने एक दुकानदार की हत्या कर दी क्योंकि उसने कर्फ़्यू हटने के बाद अपनी दुकान खोली थी. दो दिन पहले दो लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई और वे लोग मुस्लिम बंजारा समुदाय से हैं. ऐसा वे लोग कर रहे हैं जो दिखाना चाहते हैं कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हो सकते."
बीबीसी संवाददाता समीर हाशमी भारत प्रशासित कश्मीर के दक्षिणी ज़िलों के जिन गांवों में गए थे वहां लोगों ने रात में छापेमारी, पिटाई और टॉर्चर की एक जैसी दास्तान सुनाईं. ये इलाके भारत विरोधी चरमपंथ के गढ़ के रूप में उभरे हैं.
नलिन कोहली ने कहा कि वो इस रिपोर्ट पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन ये ज़रूर कह सकते हैं कि अभी तक इनकी पुष्टि नहीं हो सकी है. कोहली का मानना है कि ये आरोप पाकिस्तान प्रायोजित चरमपंथ और अलगाववाद से प्रेरित हो सकते हैं.
तो क्या भारतीय सरकार अब इन आरोपों की जांच करेगी?
इस सवाल के जवाब में नलिन कोहली ने कहा कि अगर बीबीसी के रिपोर्टर ने इसे सही संबंधित लोगों से साझा किया है तो वहां इस बारे में देखा जा सकता है.
बीबीसी को भेजे बयान में सेना ने भी कहा था कि सभी आरोपों की 'तुरंत जांच' की जा रही है.
सेना ने ये भी कहा कि वो "एक पेशेवर संगठन है जो मानवाधिकारों को समझता है और उसकी इज़्ज़त करता है."
कश्मीर में मानवाधिकार हनन को लेकर कई तरह की रिपोर्टें आती रही हैं. जिसे भारत सरकार ने हर बार ख़ारिज किया है.
'कश्मीर भारत का आंतरिक मामला'
बहुत से लोग जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म किए जाने के भारत सरकार के फ़ैसले की आलोचना कर रहे हैं. हालांकि भारत सरकार लगातार इसे अपना आतंरिक मामला बताते हुए आलोचनाओं को ख़ारिज कर रही है.
नलिन कोहली ने भी दोहराया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था. वो कहते हैं कि इसकी वजह से इलाके में अलगाववाद पनपा और सीमा पार आतंकवाद ने इसे एक संघर्ष वाला इलाका दिखाने की कोशिश की, जबकि असल में ऐसा नहीं है.
नलिन कोहली ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने लद्दाख और जम्मू- दो बड़े हिस्सों को नज़रअंदाज़ किया और कश्मीर घाटी के लोगों को भी इसकी वजह से काफ़ी कुछ सहना पड़ा. लोग चरमपंथियों द्वारा और चरमपंथ से जुड़ी घटनाओं में मारे गए. इसलिए नरेंद्र मोदी सरकार ने इस अनुच्छेद को हटाने का फ़ैसला किया.
 
 
    ये भी कहा जा रहा है कि सरकार की कार्रवाई से इलाके के लोगों में चरमपंथ की भावना बढ़ेगी. लेकिन बीजेपी के प्रवक्ता का कहना है कि इलाके में ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो बंदूक के साए और चरमपंथ के ख़तरे के बीच जीकर तंग आ चुके थे.
    नलिन कोहली ने उदाहरण दिया कि, "भारतीय सेना जब अपनी भर्ती करती है तो मुस्लिम बहुल कश्मीर से हज़ारों युवक उसमें हिस्सा लेते हैं. लेकिन जब वो सेना में शामिल हो जाते हैं तो चरमपंथी उन्हें उठा लेते हैं और उनकी हत्या कर देते हैं, जैसा औरंगज़ेब के मामले में देखा गया. लेकिन उनकी हत्या के बाद उनके दो भाई भी सेना में शामिल हो गए."
    "इन घटनाओं से साबित होता है कि लोग विकास चाहते हैं, जिससे उन्हें महरूम रखा गया. वो बंदूक के साए में जीकर तंग आ चुके हैं इसलिए मौजूदा सरकार ने फ़ैसला लिया कि जम्मू और कश्मीर का स्टेटस बदलकर इन्हें केंद्र शासित प्रदेश बनाने से सरकार वहां विकास कर पाएगी, रोज़गार सृजन कर पाएगी."
    भारत प्रशासित कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से वहां कथित रूप से सियासी नेताओं, कारोबारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत 3,000 लोगों को हिरासत में लिए जाने की ख़बरें आईं.
    नलिन कहोली कहते हैं कि एहतियातन हिरासत में लिए गए लोगों से जुड़ी खबरें तथ्यात्मक रूप से ग़लत हैं. उनका कहना है कि हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या इससे बहुत कम है.
    उन्होंने कहा, "शुरुआत में 600 से 700 लोगों को हिरासत में लिया गया था, अब ये संख्या 300 है. तो ये बात ग़लत है कि हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है."
    कश्मीर में क्या हो रहा है?
    भारत और पाकिस्तान दोनों ही कश्मीर को अपना बताते हैं. दोनों देश एक एक हिस्से को नियंत्रित करते हैं. इस इलाक़े को लेकर दोनों देशों में दो युद्ध हो चुके हैं और सीमित संघर्ष भी होते रहे हैं.
    भारत के नियंत्रण वाले जम्मू-कश्मीर राज्य को हाल तक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्तता हासिल थी.
    पांच अगस्त को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का तर्क था कि देश के बाक़ी हिस्सों की तरह ही कश्मीर का दर्जा होना चाहिए.
    तबसे घाटी में हालात सामान्य नहीं है, कुछ बड़े प्रदर्शन भी हुए हैं जो हिंसक हो उठे थे. पाकिस्तान ने इस पर तीख़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसमें हस्तक्षेप की अपील की है.

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