आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) इस बार डीयू स्टूडेंट्स यूनियन (डूसू) चुनाव न लड़ने का मन बना सकती है। पार्टी सूत्र भी इस बात के संकेत दे रहे हैं कि इस बार डूसू चुनाव में सेंट्रल पैनल पर संगठन अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगा, हालांकि कॉलेजों में होने वाले चुनावों में सीवाईएसएसकैंडिडेट्स अपना भाग्य जरूर आजमाएंगे।
पार्टी के एक सीनियर लीडर का कहना है कि इस समय पूरी पार्टी दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है और पूरा फोकस विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने पर है। हालांकि सीवाईएसएस के पदाधिकारियों की जल्द ही एक मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें स्टूडेंट्स लीडर्स की राय भी जानी जाएगी और उसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि मीटिंग में उनकी तैयारियों के बारे में पूछा जाएगा और डूसू चुनाव को लेकर स्टूडेंट विंग के पास क्या प्लान है, इस पर भी चर्चा होगी।
जिस हेडक्वार्टर के उद्घाटन में चीफ गेस्ट थे चिदंबरम, उसी में आरोपी बनाकर लाई CBIबताया जा रहा है कि जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2013 में विधानसभा चुनावों से पहले डूसू चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था, उसी तरह से इस बार भी डूसू चुनाव लड़ना मुश्किल नजर आ रहा है। पार्टी के लिए इस समय विधानसभा चुनाव की तैयारियां सबसे अहम हैं। सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी के सीनियर लीडर इस बार डूसू चुनाव की तैयारियों को लेकर ज्यादा समय नहीं दे पाएं हैं और यही कारण है कि डूसू चुनाव लड़ने पर पार्टी ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। अगले दो-तीन दिन में स्थिति पूरी तरह से साफ हो जाएगी।
आपको बता दें कि 2018 का डूसू चुनाव सीवाईएसएस ने आइसा के साथ मिलकर लड़ा था, हालांकि इस गठबंधन को सफलता नहीं मिल पाई थी। 2015 के बाद सीवाईएसएस ने 2018 में डूसू चुनाव लड़ा था। पिछले डूसू चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर आइसा के कैंडिडेट्स उतरे थे और सचिव और संयुक्त सचिव के पद पर सीवाईएसएस ने चुनाव लड़ा था। 2015 में सीवाईएसएस ने पहली बार चुनाव लड़ा था और उस समय सीवाईएसएस को औसतन 8500 तक वोट मिले थे।