चाय बागान से ही मेरी जिंदगी शुरू हुई : बारला

चंद महीने पहले अलीपुरद्वार संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल करने के बाद भाजपा सांसद जॉन बारला इलाके के विकास और जनता से किये गये वायदे को लेकर सक्रिय हो गये है. सांसद जॉन बारला ने संसद में चाय श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी, जमीन पट्टा सहित सेवक में अंग्रेजों द्वारा बनाये गये कोरोनेशन ब्रिज की समस्या, इलाके के चाय श्रमिकों की समस्याओं के मुद्दों को उठाया है. संसद सत्र खत्म होने के बाद स्वतंत्रता दिवस के बाद जगह-जगह जाकर आमलोगों से मुलाकात कर रहे हैं. इसी क्रम में सांसद जॉन बारला ने लकीपाड़ा चाय बागान के चाय श्रमिकों से मिलने के लिए चाय बागान पहुंचे. 
माकपा से भी ज्यादा बढ़ा तृणमूल कैडरों का जुल्म
विदित हो कि सांसद जॉन बारला का जन्म लकीपाड़ा चाय बागान में हुआ है. इसी चाय बागान में ट्रैक्टर खलासी के रूप में एक श्रमिक के पद पर उन्होंने अपना कार्य शुरू किया था. इसके बाद 2007 में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले आदिवासियों के हक की लड़ाई में अहम भूमिका निभाते हुए छठी अनुसूची एवं हिंदी में प्रश्न पत्र तथा हिंदी कॉलेज की स्थापना, हिंदी विद्यालयों को अपग्रेड करना, चाय श्रमिकों के लिए जमीन पट्टा, न्यूनतम मजदूरी वृद्धि तथा इलाके के विभिन्न प्रकार की 18 सूत्री मांगों को लेकर अपना आंदोलन शुरू किया था. जिसके बाद 2014 में नागराकाटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा था, जिसमें कुछ वोटों से हार गए थे.
 

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