कल्याण सरकार से योगी कैबिनेट तक कुछ ऐसा रहा राजेश अग्रवाल का सियासी सफर

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) में वित्त मंत्री रहे राजेश अग्रवाल (Rajesh Agarwal) ने बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया है. मिल रही खबर के मुताबिक राजेश अग्रवाल ने दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों और बढ़ती उम्र को देखते हुए उन्होंने इस्तीफा सौंपा है. हालांकि अभी तक उनके इस्तीफे पर कोई फैसला हुआ है या नहीं? इसकी जानकारी नहीं है. बहरहाल, राजेश अग्रवाल बीजेपी के उन नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने चुनाव कभी नहीं हारा.

राजेश अग्रवाल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े हुए हैं और बरेली की कैंट विधानसभा से विधायक हैं. वे लगातार 25 साल से विधानसभा का चुनाव जीत रहे हैं. 1993 से उनकी जीत का क्रम लगातार जारी है. मौजूदा सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया है. इससे पहले वे विधानसभा उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में व्यापार निबंधन एवं कर मंत्री भी रह चुके हैं. साथ ही वे प्रदेश के महामंत्री भी रह चुके हैं. मौजूदा समय में वे संगठन में कोषाध्यक्ष भी हैं.

पहली बार 1993 में पहुंचे विधानसभा

90 के दशक में जब कल्याण सिंह मंत्रिमंडल से डॉ. दिनेश जौहरी की विदाई हुई तो भाजपा के सामने संकट खड़ा हो गया कि 1993 में किसे टिकट दिया जाए? इसके बाद संघ के महानगर कार्यवाह राजेश अग्रवाल को विधानसभा का टिकट मिला. राजेश अग्रवाल बरेली की शहर विधानसभा से पहली बार 1993 में चुनाव जीते. इसके बाद उन्होंने इसी विधानसभा से 1996, 2002 और 2007 के चुनाव में जीत दर्ज कर की. 2009 में हुए परिसीमन के बाद शहर विधानसभा का बहुत बड़ा हिस्सा शहर से कटकर कैंट विधानसभा में शामिल हो गया, जिसके बाद 2012 में हुए चुनाव में राजेश अग्रवाल कैंट विधानसभा से चुनाव लड़े और जीत हासिल की

राजेश अग्रवाल का पार्टी में रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी से राजेश अग्रवाल प्रदेश सरकार और संगठन दोनों में शामिल रहे. यूपी के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही राजेश अग्रवाल को प्रदेश कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष के पद पर कायम रखा गया. वैसे राजेश अग्रवाल की ख़ास बात यह है कि वो उन गिने-चुने विधायकों में एक हैं जो अपनी विधायक निधि में से कम से कम 25 लाख रूपये बीमारों के इलाज के लिए खर्च करते हैं.

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