जब सैयद मोदी हत्याकांड की वजह से सुर्खियों में आया था अखिलेश सिंह का नाम

उत्तर प्रदेश की रायबरेली सदर सीट से पांच बार विधायक रहे दबंग नेता अखिलेश सिंह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. मंगलवार की सुबह लखनऊ के पीजीआई में उनका निधन हो गया. उन्होंने अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया था. लेकिन हत्या जैसे संगीन मामले में नाम आने के बाद अखिलेश सिंह को कांग्रेस ने पार्टी बाहर कर दिया था. लेकिन इसके बावजूद वे कई बार निर्दलीय विधायक रहे. अखिलेश सिंह का नाम उस वक्त चर्चाओं में आया था, जब उन पर सैयद मोदी की हत्या का आरोप लगा था.
सैयद मोदी हत्याकांड ने अस्सी के दशक में यूपी की सियासत में तूफान ला दिया था. बात 28 जुलाई 1988 की है. मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी प्रैक्टिस के बाद लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम से बाहर निकल रहे थे. तभी गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी. वहां घात लगाए बैठे हत्यारों ने उन पर ताबड़तोड़ 8 गोलियां दागी थीं. साफ था कि गोली चलाने वाले नहीं चाहते थे कि सैयद मोदी किसी भी हाल में जिंदा रहे. हत्यारे अपने मंसूबे में कामयाब भी हो गए थे.
शुरुआती जांच के बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया. सैयद मोदी हत्याकांड में शुरुआती जांच के दौरान अमेठी के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले तत्कालीन जनमोर्चा नेता संजय सिंह का नाम सामने आया था. उनका नाम सामने आते ही उस वक्त यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया था. पूरे देश की निगाहें इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस की जांच पर टिकी थी.
हर कोई यही जानना चाहता था कि आखिर किसके इशारे पर और किसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया. नवंबर 1988 में सीबीआई ने इस केस में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें कुल सात लोगों को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों में संजय सिंह, अमिता मोदी और रायबरेली के दबंग अखिलेश सिंह समेत सात लोगों के नाम शामिल थे. संजय सिंह और अखिलेश सिंह के बीच अच्छी दोस्ती थी. दोनों साथ में काफी वक्त बिताते थे.
सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह, अमिता मोदी और अखिलेश सिंह ने सैयद मोदी के मर्डर की साजिश रची थी. बाकी 4 लोगों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. सीबीआई के मुताबिक केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास मारुति कार में सवार भगवती सिंह ने सैयद मोदी पर रिवॉल्वर से फायरिंग कि तो दूसरे आरोपी जितेंद्र सिंह ने उसका साथ दिया था.
बताया जाता है कि सैयद मोदी, अमिता मोदी और संजय सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी. इसी दोस्ती की वजह से संजय सिंह और सैयद मोदी का परिवार एक दूसरे के बेहद करीब भी आ गया था. लेकिन सैयद मोदी के कत्ल के बाद खेल, राजनीति और रिश्तों की एक उलझी हुई कहानी सामने आ रही थी. सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह और अमिता मोदी के बीच पनप रहा संबंध ही सैयद मोदी के मर्डर की वजह बना.
सीबीआई का कहना था कि संजय सिंह ने ही सैयद मोदी की हत्या के लिए अपने साथी अखिलेश सिंह की मदद ली. उन्हें मारने के लिए भाड़े के हत्यारे भेजे थे. अदालत में संजय सिंह की तरफ से दिग्गज वकील राम जेठमलानी ने मोर्चा संभाला था. इसके बाद राजनीति, खेल और रिश्तों में उलझी हुई एक कानूनी जंग छिड़ गई थी.
सैयद मोदी मर्डर केस की जांच जब पूरी हुई तो कोर्ट में सीबीआई के दावों की धज्जियां उड़ गई थी. सीबीआई को पहला झटका उस वक्त लगा जब संजय सिंह और अमिता मोदी ने चार्जशीट को ही अदालत में चुनौती दी. फिर इन दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत न होने की वजह से सेशन कोर्ट ने सितंबर 1990 में संजय सिंह और अमिता मोदी का नाम केस से अलग कर दिया. दूसरा झटका 1996 में लगा, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम आरोपी अखिलेश सिंह को बरी कर दिया था.
आरोपी जितेंद्र सिंह को भी बेनेफिट ऑफ डाउट देकर रिहा कर दिया गया. इस केस के 7 में से चार आरोपी तो पहले ही रिहा हो गए. बाकी बचे अमर बहादुर सिंह का संदिग्ध हालत में मर्डर हो गया था. एक और आरोपी बलई सिंह की मौत हो गई थी. सैयद मोदी मर्डर के आखिरी आरोपी भगवती सिंह को लखनऊ के सेशन कोर्ट ने दोषी करार दिया था. उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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