उत्तर पूर्व की पहचान बरकरार रखना सरकार का अहम लक्ष्य: अमित शाह

असम की दो महत्वपूर्ण जनजाति कार्बी और और दिमासा के लिए दिल्ली में अलग भवन बनेगा. इसकी आधारशिला दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह ने रखी और इस दौरान उन्होंने एक बार फिर दोहराया उत्तर पूर्व के लोगों की संस्कृति और उस इलाके की पहचान बचाए रखना इस सरकार के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है. कार्बी और दिमासा  समुदाय के लोगों ने 1972 में समझौते के तहत असम में रहने का फैसला लिया था जबकि इनकी काफी आबादी मेघालय मेें रहती है. इसके बाद से अलग अलग सरकारों के कार्यकाल के दौरान इनके विकास का मुद्दा उठता रहा है, यहां बेहतर विकास हो इसके लिए इन दोनों  जनजातियों का स्वायत्त विकास परिषद भी है.
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गृह मंत्री अमित शाह ने इन दो समुदाय के लिए दिल्ली में भवन की आधारशिला रखते वक्त ये  संदेश दिया कि जिस तरीके से पिछले पांच सालों में उत्तर पूर्व में विकास के कार्य किए गए हैं वैसे ही आनेवाले दिनों में जारी रहेंगे. कार्यक्रम के अंतर्गत गृहमंत्री का कहना था कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान उत्तर-पूर्व में परिवर्तन आया है कांग्रेस के इतने सालों के शासन में यह इलाका पिछड़ गया था, पिछले 5 सालों में मोदी सरकार ने इस इलाके के विकास के लिए तीन लाख करोड़ से भी ज्यादा खर्च किए हैं जबकि उससे पहले की कांग्रेस सरकार ने 87000 करोड रुपए ही खर्च किए थे. कार्बी और दिमासा समुदाय से जुड़ी प्राचीन इलाज और ध्यान की पद्यति के लिए इस भवन में खास रिसर्च सेंटर बने इसका निर्देश उन्होने उत्तर पूर्व मामलों के मंत्री जितेन्द्र सिंह को दिया.

इस दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह जो कि उत्तर-पूर्व राज्यों के मामलों के मंत्री भी हैं उनका कहना था 2011 में इस समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था कि भवन बनना है लेकिन वह सिर्फ हस्ताक्षर ही रह गए.. मौजूदा सरकार इन वादों को पूरा करने का काम कर रही है, पीएम मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान करीब 30 बार उत्तर-पूर्व के राज्यों का  दौरा किया था जो यह दिखाता है कि इस रीजन के विकास की दिशा में कितनी मजबूती से मोदी सरकार अपना कदम बढ़ा रही.
दिल्ली के द्वारका इलाके में कार्बी और दिमासा समुदाय के दो अलग-अलग भवन होंगे जिनकी लागत करीब 134 करोड रुपए आएगी.. इन दोनों समुदाय की सांस्कृतिक गतिविधियां के अलावा यहां के छात्रों को और युवाओं को बेहतर रोजगार का मौका मिले इसके लिए भी समय-समय पर कार्यक्रम चलाए जाएंगे.. कुल मिलाकर दिल्ली में इन जनजातियों का भवन बनाकर सरकार ये संदेश दे रही है कि उत्तर पूर्व के लोगों से जो उसका जुड़ाव है वो लगातार मजबूत हो रहा है.

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