J-K: प्रशासन के सामने नई चुनौती, जगह कम पड़ी तो घरों-होटलों को बनाना पड़ा हिरासत केंद्र

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच कोई एनकाउंटर नहीं हुआ है. लेकिन हजारों लोगों को हिरासत में लेने के बाद प्रशासन के लिए जगह की परेशानी खड़ी हो गई है. लिहाजा प्रशासन अब प्राइवेट प्रॉपर्टीज को हायर कर रहा है ताकि इन लोगों को वहां समायोजित किया जा सके. उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
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नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को हिरासत में रखा गया है. पुलिस ने उन लोगों को भी पकड़ लिया है, जो अतीत में पत्थरबाजी में शामिल रहे हैं. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि घाटी में स्थिति काबू से बाहर न हो जाए.
हालांकि प्रशासन और पुलिस इस बात को सार्वजनिक नहीं कर रही कि कितने लोगों को हिरासत में रखा गया है. लेकिन सूत्रों ने कहा कि संख्या काफी ज्यादा है और इस वजह से प्राइवेट प्रॉपर्टी को बतौर हिरासत केंद्र के लिए हायर करना पड़ा. इसमें गेस्ट हाउस, छोटे होटल और रिहायशी संपत्तियां शामिल हैं. ऐसा इसलिए किया गया ताकि कोई भी लोगों को न भड़का पाए और सड़कों पर अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर विरोध-प्रदर्शन न हों.
अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से आतंकी भी शांत हैं क्योंकि पूरा ध्यान कानून एवं व्यवस्था पर है ताकि पहले की तरह सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन न भड़कें. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'आतंकियों की गतिविधि ज्यादातर दक्षिण कश्मीर में नजर आई है.'
जम्मू-कश्मीर के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADGP) मुनीर खान ने इससे पहले कहा था कि कुछ लोगों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया है, जिसके जरिए घाटी में संदिग्धों को वर्षों तक जेल की सलाखों के पीछे रखा जाता है. खान ने यह भी कहा कि पैलेट गन के वार से कुछ लोग जख्मी हुए हैं और कुछ इलाकों में पत्थरबाजी भी हुई है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खान ने कहा, 'कुछ पीएसए केस दर्ज किए गए हैं. हम नहीं चाहते कि किसी की जान जाए.'

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