जम्मू-कश्मीर की ग्राउंड रिपोर्टः लेह में जश्न, करगिल में हैं तनावपूर्ण हालात

अनुच्छेद 370 को लेकर मोदी सरकार द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, तीनों ही जगह हालात अलग-अलग हैं. कश्मीर से अलग होने के लिए सात दशक से संघर्षरत लद्दाख के लेह में जहां जश्न का माहौल है, वहीं दूसरे जिले करगिल में तनावपूर्ण माहौल है. आजतक की टीम लद्दाख पहुंची. आम नागिरकों से बात कर उनके विचार जानने की कोशिश की.
लेह में गुरुवार को स्थानीय नागरिकों ने तिरंगे के नीचे अपनी आजादी का जश्न मनाया. लोगों ने मोदी सरकार को धन्यवाद दिया और विकास की उम्मीद जताई. लेह में लोगों का कहना है कि पहले कश्मीर की सरकार लद्दाख तक मदद नहीं पहुंचने देती थी, लेकिन अब सीधे केंद्र सरकार की निगरानी में इलाके का बेहतर विकास हो सकेगा.
लद्दाख बौद्धिस्ट एसोसिएशन के डॉक्टर सोनम कहते हैं कि हिंदुस्तान को आजादी 1947 में मिली लेकिन कश्मीर को आजादी 5 अगस्त 2019 को मिली. लद्दाखियों का कहना कि मोदी सरकार ने अचानक उन्हें जो तोहफा दिया, इससे वह बेहद खुश हैं.
करगिल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प
नवगठित केंद्र शासित प्रदेश के लेह में लोग विभाजन से खुश हैं तो वहीं दूसरे जिले करगिल में तनाव बढ़ रहा है. हालत यह है कि प्रशासन को गुरुवार से करगिल में धारा 144 लगानी पड़ी. गुरुवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच करगिल में झड़प हुई. हालात नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. करगिल में बाहरी वाहनों पर पाबंदी है.
लेह से अधिक है करगिल की आबादी
लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के करगिल जिले की आबादी लेह के मुकाबले अधिक है. व्यस्त रहने वाले करगिल के बाजार में कर्फ्यू जैसे हालात हैं. जम्मू-कश्मीर के बंटवारे के खिलाफ करगिल में लगातार हड़ताल चल रही है. पूरे शहर को सुरक्षा बलों ने छावनी में तब्दील कर दिया है.
करगिल ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सचिव नासिर हुसैन ने कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विभाजन का जो फैसला लिया, वो संविधान के खिलाफ है. राज्य के दो टुकड़े कर दिए. करगिल के लोगों से बात भी नहीं की. उन्होंने फैसले को गलत बताते हुए कहा कि हम रियासत को भाषा और धर्म के हिसाब से बांटने के खिलाफ हैं. मुहम्मद हनीफा का भी यही कहना है.
सामाजिक कार्यकर्ता लियाकत अली ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए राज्य को धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाया. लियाकत कहते हैं कि लद्दाख को बौद्ध, जम्मू को हिंदू और कश्मीर को मुस्लिम आबादी के आधार पर बांटकर आपने हमें कहां पहुंचा दिया. करगिल में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ, हम 70 साल से सरकार के साथ रहे लेकिन 3 दिन से करगिल बंद है.
मुर्तजा जैसे करगिल के स्थानीय निवासी कहते हैं कि करगिल की लड़ाई में हम भारतीय फौज के साथ रहे, कंधे पर सामान ढोया लेकिन उसके बदले में करगिल के साथ ये अन्याय क्यों? करगिल में तनाव को देखते हुए धारा 144 लगा दी गई. गुरुवार को मोबाइल इंटरनेट भी बंद कर दिया गया. बाहर की गाड़ियों का करगिल में प्रवेश वर्जित, सड़कों पर सन्नाटा और संगीनों के साए में है करगिल.
आम लोगों के विरोध के बीच करगिल में कानून व्यवस्था मुस्तैद रखने के लिए जम्मू कश्मीर के पुलिस वाले अपनों की खबर ना मिल पाने से परेशान हैं. एक पुलिस वाले ने कहा कि मेरा परिवार श्रीनगर में है. फोन बंद होने से मुझे उनकी कोई खोज खबर नहीं. इस हालात में क्या करें. सरकार भले लाख दावे करे कि हालात सामान्य हो रहे हैं, लेकिन पहाड़ों में अब भी हालात चुनौतीपूर्ण हैं.
 

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