विधानसभा में 5 साल में सत्ता पक्ष से 15 घंटे ज्यादा बोले विपक्षी, पूछे कुल 1726 सवाल

 भाजपा सरकार के कार्यकाल के 58 महीनों में हरियाणा विधानसभा के चले सत्रों में विपक्ष ने सत्ता पक्ष से ज्यादा अपनी बात रखी। 15 सत्रों में कुल हुई 84 सीटिंग में विपक्ष के विधायकों ने 69 घंटे बोलकर न केवल अपनी बात रखी, बल्कि सरकार को भी घेरा। निर्दलीय विधायकों ने अपनी बात रखने में 4 घंटे का वक्त लिया, जबकि सत्ता पक्ष भाजपाई विधायकों को बोलने का 54 घंटे का समय मिला। इसमें मंत्रियों ने न केवल सरकार की उपलब्धियां रखी बल्कि विपक्ष के हमलों का जवाब भी दिया।
इनमें छह घंटे मुख्यमंत्री ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने को लिए, जबकि कांग्रेस के दस साल के कार्यकाल में सत्ता पक्ष 107 घंटे बोला, जबकि विपक्ष दलों के विधायकों को बोलने के लिए 32 घंटे मिले। 17 घंटे निर्दलीयों को मिले। इनेलो के शासनकाल में पांच साल में सत्ता पक्ष और विपक्ष को बराबर 46-46 घंटे अपनी बात रखने का समय मिला था। इधर, खास बात यह है कि भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, बसपा, शिरोमणि अकाली दल और निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा में सरकार से तारांकित और अतारांकित मिलाकर 1726 सवाल पूछे। सबसे ज्यादा सवाल पलवल से कांग्रेस के विधायक करण दलाल और भाजपा में शामिल हो चुके इनेलो के पूर्व विधायक रहे परमिंद्र सिंह ढुल ने पूछे हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा, रणदीप सुरजेवाला, रघुवीर कादयान और आनंद सिंह दांगी ने एक भी सवाल नहीं लगाया। 
ये सबसे ज्यादा पूछने वाले
सबसे ज्यादा 153 सवाल पलवल से कांग्रेसी विधायक करण दलाल ने पूछे। जबकि दूसरे नंबर पर परमिंद्र सिंह ढुल रहे। उन्होंने 128 सवाल पूछे। इनके अलावा पूर्व विधायक हरिचंद मिड्‌ढा सवाल पूछने वाले विधायकों मे तीसरे नंबर पर रहे। उन्होंने 100 सवाल पूछे। इनेलो से बागी हो चुके राजदीप फौगाट ने 85, पिरथी नंबरदार ने 67,  कांग्रेसी विधायक जगबीर सिंह मिले ने 69, इनेलो के पूर्व विधायक केहर सिंह ने 57, इनेलो विधायक वेद नारंग ने 52 सवाल पूछे। जबकि रविंद्र बलियाला, रामचंद्र कंबोज और जसबीर देशवाल ने 47-47 सवाल सरकार से पूछकर अपने इलाकों की आवाज उठाई।

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