कश्मीर पर सरदार पटेल के अधूरे सपने को अमित शाह ने साकार किया

जम्मू-कश्मीर की समस्या का समाधान करने का सारा श्रेय गुजरातियों को ही जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए आखिरी सांस तक जूझते रहे। उनका अधूरा काम एक दूसरे गुजराती अमित शाह ने पूरा कर दिखाया। दोनों ही सोमनाथ दादा के परमभक्त हैं।
शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान वचन दिया था
भारत की आजादी के बाद कश्मीर का प्रश्न पेचीदा बन गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू उस समय प्रधानमंत्री थे। तब सरदार पटेल से उन्होंने आग्रह किया था कि कश्मीर में सेना भेजे बिना उसकी समस्या का शांतिपूर्ण समाधान तलाशा जाए, जो उस समय संभव नहीं था। यदि ऐसा नहीं होता, तो पाकिस्तान अपनी करतूतें जारी रखेगा, वही कश्मीरियों को कभी शांति से जीने नहीं देगा। इसके बाद पटेल का निधन हो गया। इससे कश्मीर समस्या का समाधान नहीं हो पाया। उसके 70 साल बाद अमित शाह गृहमंत्री बने, तब उन्होंने कश्मीर से धारा 370 हटाने का काम किया। इसके पहले उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं में धारा 370 को हटाने का वादा किया था, जिसे उन्होंने पूरा किया। 

एक गुजराती गृहमंत्री का अधूरा सपना दूसरे गुजराती गृहमंत्री ने साकार किया
सरदार पटेल आजाद भारत के उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी थे। उस समय कांग्रेस के अधिकांश नेता चाहते थे कि सरदार पटेल प्रधानमंत्री बनें। किंतु आखिरी पलों में वे प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो गए। किंतु कश्मीर के मामले में उन्होंने अपनी पकड़ ढीली नहीं की। अपनी सख्ती के कारण पटेल और नेहरू के बीच कई बार विवाद की  स्थिति पैदा हो जाती। पटेल के निधन के बाद कश्मीर को पूरी तरह से भारत में मिलाने का उनका सपना अधूरा रह गया। इसके 70 साल बाद अमित शाह ने गृहमंत्री रहते हुए उसे पूरा किया। एक गुजराती गृहमंत्री के सपने को दूसरे गुजराती गृहमंत्री ने पूरा किया।
दोनों ही सोमनाथ दादा के परमभक्त
सरदार वल्लभ भाई पटेल 12 नवम्बर 1947 को सोमनाथ के दर्शन के लिए आए थे, तब यह मंदिर काफी क्षत-विक्षत हालत में था। मंदिर को मुस्लिम आततायियों ने बरबाद कर दिया था। जूनागढ़ की आजादी के संबंध में वहां आयोजित सभा के बाद सरदार सीधे साेमनाथ मंदिर पहुंचे थे। सोमनाथ दादा पर उनकी अटूट श्रद्धा थी। दूसरी तरफ अमित शाह भी सोमनाथ दादा के परमभक्त हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव हो या केंद्र के लोकसभा चुनाव। हर बार मतदान के बाद वे सोमनाथ दादा के दर्शन के लिए अवश्य आते हैं। पूजा-अर्चना के बाद भाजपा की सफलता की कामना करते हैं। मुश्किल पलों में भी अमित शाह सोमनाथ दादा की शरण में आते हैं। इस तरह से सरदार पटेल और अमित शाह के लिए दादा प्रेरणास्रोत हैं।

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