अमित शाह ने पिछले हफ्ते कश्‍मीर भिजवाए थे 2000 सैटेलाइट फोन, संडे को किया कॉल- तैयार रह‍िए

संविधान के अनुच्‍छेद 370 में बदलाव की पटकथा लोकसभा चुनाव के लिए BJP के घोषणापत्र के साथ ही लिखी जानी शुरू हुई. कश्‍मीर में सैटेलाइट फोन्‍स भेजना, सुरक्षा बलों की तैनाती जैसे कदम इसी पटकथा का हिस्‍सा थे. पूरे प्‍लान की भनक केवल पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को थी. सीनियर मंत्रियों और अधिकारियों को टुकड़ों में जानकारी दी गई थी. हिंदुस्‍तान टाइम्‍स ने सूत्रों के हवाले से मोदी सरकार के सबसे बड़े फैसले की टाइमलाइन तैयार की है, जो कुछ इस प्रकार है.
5 जुलाई को R&AW के नए चीफ सामंत गोयल ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. इस दौरान उन्‍होंने PM को बताया कि कश्‍मीर को भारत से पूरी तरह जोड़ने के लिए एक महीने का समय ही बचा है, उसके बाद हालात काबू से बाहर हो सकते हैं. रॉ प्रमुख को डर था कि कहीं अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच कोई समझौता न हो जाए. इमरान खान के अमेरिका दौरे ने आशंका को और बल दिया.
इस घटनाक्रम से बहुत पहले, बीजेपी की टॉप टीम ने यह राय बनाई थी कि आर्टिकल 370 को राष्‍ट्रपति के आदेश से खत्‍म किया जा सकता है, खासतौर से तब जब राज्‍य प्रशासन गवर्नर के अधीन हो. वरिष्‍ठ बीजेपी पदाधिकारियों ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाने की तैयारी BJP के घोषणा पत्र बनने के साथ ही शुरू हो गई थी.
संपर्क बना रहे इसलिए भेजे गए सैटेलाइट फोन
अमित शाह जब 26 जून को श्रीनगर गए तो काम में और तेजी आई. राष्‍ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां भी यह चाहती थीं कि ये प्रावधान हटाए जाएं. सरकार ने आगे बढ़ने से पहले रॉ चीफ के 11 जुलाई वाली और NSA अजीत डोभाल की के जुलाई में घाटी के दौरे से मिले इनपुट्स को ध्‍यान में रखा. फिर जून में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत घाटी पहुंची और सैन्‍य कमांडरों को एलर्ट किया.
यह साफ नहीं कि अंतिम फैसला कब हुआ. पिछले सप्‍ताह गृह मंत्रालय ने जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन के लिए 2,000 सैटेलाइट फोन्‍स भेजे ताकि अगर फोन और इंटरनेट न चले तो भी संपर्क बना रहे. रविवार रात घाटी की इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं. कुछ समय बाद फोन सेवाएं भी. पिछले 10 दिन में पैरामिलिट्री फोर्सेज की 350 कंपनियां यानी 35,000 जवान पूरे राज्‍य में भेजे गए हैं.
अमरनाथ यात्रा रद्द करने और घाटी से पर्यटर्कों को निकल जाने की सलाह के बाद धारा 35A खत्‍म करने की चर्चा तेज हो गई. आर्टिकल 370 के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई. 4 अगस्‍त की शाम को शाह ने रॉ चीफ और IB चीफ को फोन मिलाया और उनसे तैयार रहने को कहा. विदेश मंत्री सुब्रमण्‍यम जयशंकर को भी लूप में रखा गया ताकि कूटनीतिक रूप से भी तैयार रहा जा सके. घाटी के राजनेताओं को हिरासत में इसलिए लिया गया क्‍योंकि पाकिस्‍तानी खुफिया एजंसी ISI और जिहादियों के उन्‍हें निशाना बनाने का डर था. ऐसा कुछ होता तो घाटी में भारी तनाव फैल जाता. धारा 144 लगाने का फैसला किया गया. पैरामिलिट्री फोर्सेज से संयम बरतने को कहा गया था.