आज से विधानसभा का मानसून सत्र, सत्तापक्ष गिनाएगा उपलब्धि तो विपक्ष उठाएगा खामियां

झारखंड विधानसभा चुनाव से पूर्व होने वाले विधानसभा के अंतिम मानसून सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं। राज्य की इस सबसे बड़ी पंचायत में सियासी मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने होंगे। सोमवार से शुरू हो रहे महज पांच दिवसीय इस सत्र में राज्य सरकार अपना प्रथम अनुपूरक बजट भी पेश करेगी। चतुर्थ विधानसभा वैसे भी हंगामे के लिए ही याद की जाएगी। बजट सत्र के अंतिम कुछ दिनों को छोड़ दें तो सत्ता पक्ष और विपक्ष का टकराव चरम पर देखा गया।
सदन की कार्यवाही बाधित रही। जनहित से जुड़े मुद्दों से इतर नेताओं के अहम की बानगी अधिक देखी गई। हालांकि 22 जनवरी को वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट पेश होने के बाद सत्र में सामान्य कामकाज देखा गया। इस बार भी टकराव के मुद्दे तमाम हैं। राज्य सरकार जहां अपने 4.5 साल के विकास का रिपोर्ट कार्ड लेकर सदन में हाजिर होगी, वहीं विपक्ष सरकार की खामियों को गिनाएगा। चर्चा के दौरान तल्खी स्वाभाविक है। हालांकि इतना तो तय है कि विपक्ष इस अंतिम सत्र के दौरान सदन से वॉकआउट करने से परहेज करेगा। क्योंकि विपक्ष का अब तक का वॉकआउट सत्ता पक्ष को वॉकओवर ही देता आया है।
हंगामे के बावजूद सरकार के सभी कामकाज सामान्य रूप से होते हैं और जनहित से जुड़े तमाम मुद्दे धरे रह जाते हैं। विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन में नहीं रख पाते। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों की कोशिश होगी कि कि वे अपने क्षेत्र के जनहित के मुद्दे सदन में उठाकर वे जनता का भरोसा चुनाव से पहले हासिल करें।
मॉब लिचिंग : हाल ही में झारखंड में हुई मॉब लिचिंग की घटना ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी है। विधि व्यवस्था से जुड़े इस मुद्दे पर विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरेगा।
मंत्रियों के कामकाज : मंत्रियों के कामकाज पर भी सवाल उठेंगे। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह खुद अपने लोगों द्वारा घेरे जाते रहे हैं। वहीं, सरयू राय अपने ही महकमे की खामियों को स्वीकार करने से गुरेज नहीं करते। जब कामकाज को लेकर सत्ताधारी दल में ही टकराव है तो विपक्ष चुटकी तो लेगा ही।

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