हरि सिंह जयंती पर जम्मू नगर निगम में अवकाश, भाजपा पार्षद के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से हुआ फैसला

महाराजा हरि सिंह की जयंती पर नगर निगम ने 23 सितंबर को अवकाश घोषित किया है। वीरवार को नगर निगम सदन में सर्वसम्मति से अवकाश का प्रस्ताव पारित किया गया। सभी पार्षदों ने ध्वनिमत से हाथ उठाकर अवकाश घोषित किए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। डोगरा समाज की ओर से लंबे समय से राज्य में अवकाश घोषित किए जाने की मांग की जाती रही है। इसको लेकर धरना-प्रदर्शन तथा रैलियां भी निकाली गईं। लेकिन डोगरों की यह मांग पूरी नहीं हुई। इससे उनमें रोष रहा। वीरवार को नगर निगम में अवकाश का प्रस्ताव पारित होने को संघर्ष की दिशा में एक कदम की जीत के रूप में देखा जा रहा है। वार्ड नंबर तीन के भाजपा पार्षद नरोत्तम शर्मा ने सदन के समक्ष महाराजा की जयंती पर अवकाश का प्रस्ताव रखा। उनका कहना था कि जम्मू के राष्ट्रभक्त लोगों तथा महाराजा हरि सिंह के परिवार के सदस्यों की ओर से जयंती पर अवकाश की मांग लंबे समय से की जा रही है। विश्वास है कि सदन में बैठे लोग तथा सदन के बाहर के लोग महाराजा के केंद्र के साथ विलय के निर्णय को भूला सके होंगे, जबकि कई आतंरिक व बाह्य शक्तियां इस फैसले के खिलाफ थीं। वे प्रगतिशील तथा दूरदर्शी राजा थे जिन्होंने लोगों के कल्याण की दिशा में कई कानून बनाए जिससे लोगों के जीवनशैली में अहम बदलाव आया। उन्होंने 23 सितंबर को राज्य अवकाश घोषित किए जाने की मांग की ताकि उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके। 

भाजपा पार्षद के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सभी सदस्यों ने पार्टी तथा धर्म के बंधन से ऊपर उठकर इसका समर्थन किया। सदस्यों की राय पर मेयर तथा पीठासीन अध्यक्ष चंद्रमोहन गुप्ता ने कहा कि नगर निगम राज्य अवकाश घोषित नहीं कर सकता है, लेकिन वह अपने यहां छुट्टी रख सकता है। उन्होंने नगर निगम में 23 सितंबर को महाराजा की जयंती पर अवकाश करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास करने को मंजूरी दे दी। प्रस्ताव पास होते ही सदस्यों ने हर्ष व्यक्त किया। 

विधान परिषद में भी फरवरी 2017 को महाराजा की जयंती पर अवकाश का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन यह प्रस्ताव विधानसभा में नहीं रखा जा सका। इस वजह से अवकाश पर कोई फैसला नहीं हो सका। यह प्रस्ताव परिषद में महाराजा के पोते तथा पीडीपी के एमएलसी रहे विक्रमादित्य सिंह ने लाया था। बाद में उन्होंने पीडीपी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर महबूबा से नाराजगी बढ़ने के बाद ही उन्होंने पीडीपी से इस्तीफा दिया था। 

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