कांग्रेस सिंह ऐसे बने थे स्वतंत्र देव, अब इस समीकरण ने बनवाया यूपी बीजेपी का अध्यक्ष!

यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष बनाए गए स्वतंत्र देव सिंह कभी 'कांग्रेस सिंह' के नाम से जाने जाते थे. राजनीति कांग्रेस के खिलाफ करनी थी इसलिए यह नाम असहज करता था. संघ ने उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह रख दिया. यह नाम स्वतंत्र भारत अखबार से प्रेरित था, जिसमें कांग्रेस सिंह रिपोर्टर थे. इस तरह लोग उन्हें स्वतंत्र देव सिंह के नाम से जानने लगे.

छात्र राजनीति के बीच वह 1989-90 में 'स्वतंत्र भारत' अखबार से जुड़े. उरई में वह इसके रिपोर्टर बनाए गए. वो बेहद गरीबी में पले-बढ़े. छात्र जीवन में ही राजनीति से जुड़े, लेकिन कभी भी करिश्माई सफलता नहीं मिली. कॉलेज में छात्र संघ चुनाव हारे. 2012 में एमएलए इलेक्शन भी बुरी तरह से हारे. बताते हैं कि उनकी जमानत जब्त हो गई थी.

वो मूल रूप से मिर्जापुर के रहने वाले हैं. लेकिन पुलिस में तैनात उनके भाई का जब तबादला हुआ तो उन्हीं के साथ 1984 में वे उरई (जालौन) आ गए. 1985 में ग्रेजुएशन में दाखिला लिया. 1986 में उरई के डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्र संघ चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हुए, हालांकि वो एबीवीपी से जुड़े रहे.

केशव प्रसाद मौर्य के बाद बीजेपी ने महेंद्र नाथ पांडे को यूपी में पार्टी की कमान दी थी. पार्टी ने अब फिर जातीय संतुलन साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. सियासी जानकार कह रहे हैं कि उन्हें यह जिम्मेदारी देने के पीछे पार्टी ने सियासी गुणाभाग जरूर लगाया होगा. स्वतंत्र देव का नाम यूपी के सीएम पद की रेस में भी था.
दरअसल, स्वतंत्र देव सिंह ओबीसी जातियों के समीकरणों के हिसाब से बिलकुल फिट बैठते हैं. वह कुर्मी समाज से आते हैं. मिर्जापुर (पूर्वांचल) से लेकर उरई-जालौन (बुंदेलखंड) तक उनका असर है. यूपी में 40 फीसदी से अधिक ओबीसी हैं. कुर्मी ओबीसी में तीसरी सबसे बड़ी जाति है. जिसके सबसे बड़ा हिस्सा अपना दल के साथ है. बीजेपी स्वतंत्र देव सिंह के बहाने इस वोटबैंक को भी अपने पक्ष में करना चाहती है.

केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी यूपी में फायदा ले चुकी है. असर इतना है कि जो कुशवाहा, मौर्य और शाक्य, सैनी कभी बसपा का कोर वोटर हुआ करता था वो अब बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गया है. बीजेपी यही कुर्मी वोटरों के साथ भी करना चाहती है.

स्वतंत्र देव सिंह मध्य प्रदेश के प्रभारी भी हैं. जहां करीब 41 फीसदी ओबीसी आबादी है. उनका कद बढ़ाकर वहां के वोटरों को भी पार्टी ने संदेश दे दिया है.  गुजरात के बाद मध्य प्रदेश दूसरा राज्य है जहां पाटीदार (पटेल) समाज का बड़ा वोट बैंक है. 60 लाख के करीब पाटीदार वोट प्रदेश की 34 सीटों पर निर्णायक स्थिति में हैं. मध्यप्रदेश के मालवा इलाके में सबसे ज़्यादा, 35 लाख से ज़्यादा पाटीदार वोट हैं.

वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु मिश्र के मुताबिक जातीय समीकरण को देखते हुए ही बीजेपी ने स्वतंत्र देव सिंह को एमपी का प्रभारी बनाया था और अब उनका कद बढ़ाकर यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है.

स्वतंत्र देव पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी हैं. उन्होंने बीजेपी में कार्यकर्ता से लेकर संगठनकर्ता तक का सफर तय किया है. लोकसभा चुनाव से लेकर यूपी विधानसभा चुनाव तक यूपी में मोदी की सभी रैलियों को सफल बनाने का जिम्मा उन्हीं के पास था और अपनी संगठन क्षमता को उन्होंने साबित भी किया.

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