एक-एक कर सपा का साथ छोड़ रहे राजपूत नेता, अखिलेश के सामने विरासत बचाने की चुनौती

अपने पिता मुलायम सिंह की राजनीतिक विरासत संभालने और सहेजने में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार फेल होते दिख रहे हैं. एक के बाद एक लगातार तीन चुनाव में सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं एक एक करके राजपूत नेता अखिलेश का साथ छोड़ते जा रहे हैं. सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने  राज्यसभा के साथ ही साथ समाजवादी पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया.नीरज शेखर को अखिलेश यादव का बेहद करीबी माना जाता था.
बता दें कि समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में सत्ता की बुलंदी तक पहुंचाने में यादव और मुसलमानों के साथ-साथ राजपूत समुदाय के नेताओं की भी अहम भूमिका रही है. राजपूत समुदाय को एक दौर में सपा का मूल वोटबैंक माना जाने लगा था. पूर्वांचल से लेकर पश्चिम यूपी तक के राजपूत नेता सपा की साईकिल पर सवार थे. अमर सिंह से लेकर राघुराज प्रताप सिंह और बृजभूषण शरण सिंह तक सियासी पारी खेलते हुए नजर आ रहे थे.
उत्तर प्रदेश की सत्ता से 2002 में राजनाथ सिंह के हटने के बाद राजपूतों की पहली पंसद सपा बन गई थी. सपा के राष्ट्रीय संगठन से लेकर जिला संगठन तक में राजपूत समुदाय की भागीदारी थी. 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनाने में राजपूत नेताओं ने मुख्य किरदार निभाया था. यही वजह रही कि मुलायम ने अपने सत्ता में यादव और मुस्लिमों की तरह ही राजपूतों को हिस्सेदार बनाया. इतना ही नहीं अमर सिंह जैसे राजपूत नेता सपा में अहम फैसले लिया करते थे. एक वक्त ऐसा भी आया कि अमर सिंह के कहने पर मुलायम सिंह ने आजम खान को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
मुलायम सिंह यादव ने 2012 में अपनी राजनीतिक विरासत अखिलेश यादव को सौंपी. इसी के बाद मुलायम के द्वारा बनाए गए जातीय समीकरण का बिखराव शुरू हो गया. हालांकि ये वही दौर था जब बीजेपी दोबारा से मजबूत होनी शुरू हुई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव से सूबे में राजपूत नेताओं के सपा का साथ छोड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ है वो यथावत जारी है. दिलचस्प बात यह है कि सपा का साथ छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है.
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने सपा से सोमवार को इस्तीफा दे दिया है. नीरज शेखर अब अपनी राजनीतिक पारी बीजेपी के साथ शुरू करने जा रहे हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में बलिया से टिकट न दिए जाने से नीरज शेखर नाराज चल रहे थे.
नीरज शेखर सपा का साथ छोड़ने वाले इकलौते राजपूत नेता नहीं है. ये फेहरिस्त बहुत लंबी है, जिनमें मयंकेश्वर शरण सिंह, राज किशोर सिंह, बृजभूषण सिंह, राजा अरिदमन सिंह, कृतिवर्धन सिंह, आनंद सिंह, अक्षय प्रताप सिंह और यशवंत सिंह के नाम शामिल हैं. सपा में अमर सिंह की एक समय तूती बोलती थी, लेकिन शिवपाल और अखिलेश के बीच हुई वर्चस्व की जंग के बाद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
इसके अलावा रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) सपा के सदस्य नहीं रहे हैं, लेकिन कट्टर समर्थक माने जाते थे. उन्होंने राज्यसभा के चुनाव में सपा के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार कर लिया. राजा भैया ने अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली है.

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