पापा ने रोका प्रदूषण, रोग भी भगाया; ऑक्सीजन की मात्रा में भी बढ़ोतरी

पॉल्यूशन अबेटिंग प्लांट्स अभियान (पापा) के तहत हिमाचल प्रदेश में औषधीय गुणों वाले पौधे रोपे कर न केवल प्रदूषण नियंत्रित किया गया बल्कि रोगों को भी भगाया गया। एक साथ दो गंभीर समस्याओं का सफाया किया गया। यह अभियान जन अभियान बन गया है। इससे प्रदेश के औद्योगिक घराने भी जुड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले साल मंडी जिले के सुंदरनगर से पांच जून को पापा अभियान की शुरुआत की थी। इस अनूठी मुहिम के जरिये पौधरोपण से पर्यावरण संरक्षण के अलावा अस्थमा, फेफड़ों से संबंधित रोगों, मधुमेह व असामायिक मौतों से भी बचाव संभव हुआ है। अभियान के तहत वायु शुद्ध होने के साथ ऑक्सीजन की मात्रा में भी बढ़ोतरी हुई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शिमला ने अहम सरकारी संस्थानों की आबोहवा को साफ करने के लिए 18 प्रजातियों के 300 से अधिक पौधे लगाए हैं।
ये पौधे मंत्रियों से लेकर अधिकारियों के कार्यालय में सजे हैं। इसके अलावा सचिवालय, हाईकोर्ट व प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में भी ऐसे इनडोर प्लांट रखे गए हैं। अभियान के तहत रोपे गए स्नेक प्लांट ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाएंगे। वहीं, स्पाइडर प्लांट  डस्ट एलर्जी से रोकथाम करेंगे। 
हिमाचल में डमटाल, कालाअंब, नालागढ़, सुंदरनगर, बद्दी, परवाणू, पांवटा व ऊना सबसे प्रदूषित शहर हैं। ये शहर देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित 94 शहरों में शामिल हैं। आइआटी कानपुर और राज्य  प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्ययन में ये शहर वायु की गुणवत्ता मानकों में खरे नहीं उतरे हैं। कई शहरों में धूल कण की मात्रा बढ़ गई है। वाहनों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। इस कारण इन शहरों में पापा अभियान चलाना पड़ा।
डमटाल में करीब 12 हेक्टेयर में पौधे रोपे जाएंगे। इसके  लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 20 लाख रुपये खर्च करेगा।तीन साल तक वन विभाग पौधों की देखभाल करेगा। सिरमौर के यमुना नदी के किनारे भी पहल होगी। वहां के उपायुक्त के माध्यम से इस संबंध में शुरुआत होगी। 

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