'सदस्यता अभियान" के पीछे, ये है अमित शाह का मास्टर प्लान !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके वाराणसी संसदीय क्षेत्र के करीब एक दर्जन बूथों पर महज तीन से दस वोट ही मिले. मिसाल के तौर पर जयनारायण इंटर कॉलेज रामापुरा के बूथ को ही लीजिए. कैंट विधानसभा में 234 नंबर के इस बूथ पर पीएम मोदी को सिर्फ सात वोट मिले. इसी तरह 272 नंबर के बूथ दुर्गाचरण बालिका इंटर कालेज में भी सात वोट मिले. बनारस के एक दर्जन बूथों का यही हाल रहा. हालांकि, इसमें ज्यादातर बूथ मुस्लिम बाहुल्य इलाकों के भी रहे.
अब छह जुलाई से शुरू सदस्यता अभियान में बीजेपी ने ऐसे ही बूथों पर खास फोकस किया है, जहां हालिया लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में ओवरऑल बंपर प्रदर्शन के बावजूद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हारे बूथों को भी जीतने के लिए पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी है. इसके लिए सदस्यता अभियान के दौरान कार्यकर्ताओं को बूथों पर कड़ी मेहनत करने के लिए शीर्ष नेतृत्व से फरमान जारी हुए हैं. राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने भी सभी प्रदेश इकाइयों को इस बारे में दिशा-निर्देश जारी कर रखा है.
हारी सीटों पर युद्धस्तर पर अभियान
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 15 लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. इसमें श्रावस्ती सीट पर ददन मिश्रा महज साढ़े पांच हजार वोटों से हारे. इसी तरह सहारनपुर में राघव लखनपाल 23 हजार से कम वोटों के अंतर से हारे. बीजेपी यूपी की इन 15 सहित देश की हर उन सीटों पर युद्ध स्तर पर अभियान चला रही, जहां उसे लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
सदस्यता अभियान का खाका
बीजेपी ने जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की छह जुलाई को जयंती पर सदस्यता मुहिम की शुरुआत की है. इसे संगठन पर्व नाम दिया गया है. पहले चरण में छह जुलाई से 11 अगस्त तक सामान्य सदस्यता अभियान चलेगा. इसके बाद 31 अगस्त तक सक्रिय सदस्यता अभियान चलेगा. दरअसल, कोई सदस्य अगर पचास नए सदस्य बनाता है तो फिर उसे पार्टी की सक्रिय सदस्यता मिलती है. सक्रिय सदस्य, सामान्य सदस्य से अलग होता है. बीजेपी के संविधान के मुताबिक, सक्रिय सदस्य ही संगठन में विभिन्न पदों के चुनाव में भाग ले सकते हैं.

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