क्या है वो ILP जिसे खत्म करने से सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया है साफ मना, जानिए

इनर लाइन परमिट (ILP) के नियम को चुनौती देनेवाली एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि देश के किसी भी हिस्से में आवागमन के लिए इनर लाइन परमिट मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने ILP का प्रावधान करनेवाले बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 की धारा 2,3 और 4 को रद्द करने की मांग की थी.
दरअसल नागालैंड में नगा हिल्स क्षेत्र में जाने के लिए नगा मूल निवासियों के अलावा सभी को ILP लेना पड़ता है. इतना ही नहीं दीमापुर जिले को भी नगाहिल्स क्षेत्र में शामिल करके वहां भी ILP लागू करने का प्रस्ताव है जिसका याचिका में विरोध किया गया है. सुप्रीम कोर्ट में ये जनहित याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की थी.

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आइए आपको बताते हैं कि ये ILP होता क्या है-
  1. इनर लाइन परमिट भारत सरकार जारी करती है.
  2. यह एक यात्रा दस्तावेज़ है जो देशी और विदेशी पर्यटकों को प्रोटेक्ट एरिया में जाने के लिए परमिट देता है. परमिट तय समय और कुछ लोगों के लिए मान्य होता है.
  3. ये परमिट दूसरे राज्यों से घूमने आए लोगों के लिए होता है.
  4. ILP संवेदनशील राज्यों और उन राज्यों में घूमने के लिए जारी होता है जो सीमा के पास होते हैं.
मुख्य तौर पर 3 राज्यों मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में परमिट मिलता है. वैसे सरहद पर बसे राज्यों में भी ऐसे परमिट की ज़रूरत होती है जैसे लेह लद्दाख.
आपको बता दें कि ILP का नियम ब्रिटिश सरकार ने बनाया था. आज़ादी के बाद फेरबदल के साथ भी ये जारी रहा. अगर किसी को ILP बनवाना हो तो इसे बॉर्डर पर बनवा सकते हैं. दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी में इससे संबंधित दफ्तर भी हैं. इसे बनवाने में पासपोर्ट साइज़ फोटो और सरकारी पहचानपत्र इस्तेमाल होता है. ILP बनवाने में 120 रुपए से 300 रुपए तक का खर्च आता है. मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के लिए एक बार में 15 दिन का ILP तैयार होता है लेकिन इसे बढ़वाया जा सकता है.

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