जम्मू-कश्मीर को लेकर कई भ्रम दूर कर गए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दिया कड़ा संदेश

भाजपा अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पर अपनी बेबाक राय रखी। शाह ने राज्य के दो दिन के दौरे के बाद लोकसभा में अपना वक्तव्य दिया। इस दौरान वह किसी भ्रम में नहीं दिखाई दिए। उन्होंने कड़क अंदाज में संदेश दिया कि अलगाववादियों का भय जायज है, यह अभी और बढ़ेगा। 
शाह ने लोकसभा में जोर देकर कहा कि संविधान में धारा 370 अस्थायी है और जम्मू-कश्मीर पर उनके एजेंडे में कोई बदलाव नहीं आया है। गृह मंत्री ने आक्रामक अंदाज बनाए रखा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की बोलती बंद करते हुए जम्मू-कश्मीर के संकट के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भूल को जिम्मेदार ठहराया। 
अमित शाह का मास्टर स्ट्रोक
अभी तक जम्मू-कश्मीर पर कुछ दशकों में किसी गृह मंत्री ने इतनी बेबाकी से राय नहीं रखी है। शाह ने अपने वक्तव्य में 1947 से लेकर 2014 तक के दौर को समेटने की कोशिश की। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर को लेकर इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत से केंद्र सरकार की नीतियों को जोड़ा। 

कश्मीर की समस्या के लिए राज्य के अब्दुला परिवार, मुफ्ती परिवार और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने बताने की कोशिश की कि केंद्र सरकार किसी भी तरह के अनर्गल दबाव के आगे झुकने वाली नहीं है। भाजपा के नेता भी शाह के लोकसभा में इस बयान को उनके मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देख रहे हैं। 
जो कहा साफ कहा
शाह ने संसद में अपने वक्तव्य में जम्मू-कश्मीर को लेकर स्पष्ट नजरिया सामने रखा। उन्होंने कहा कि अभी तक जम्मू-कश्मीर में तीन परिवारों ने शासन किया, लेकिन अब वहां इंसानियत, जम्हूरियत, कश्मीरियत के साथ लोकतंत्र जिंदा हो रहा है। 40 हजार पंचायतों को अधिकार मिला और निकाय, पंच अपना काम कर रहे हैं। 

शाह ने साफ किया कि विपक्ष के ये आरोप बेबुनियाद हैं कि जम्मू-कश्मीर नियंत्रण के बाहर है। उन्होंने कहा कि राज्य के हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। इसके लिए स्थानीय निकाय, पंचायत और लोकसभा चुनाव का उदाहरण दिया। शाह ने कहा कि दोनों चुनावों न तो हिंसा हुई और न ही किसी के रक्त का एक कतरा बहा। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है। वहां जब भी चुनाव आयोग चाहे चुनाव कराने की घोषणा कर सकता है। गृह मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया कि विधानसभा चुनाव भयरहित, निष्पक्ष और सुरक्षा के वातावरण में होंगे। सरकार ऐसा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 

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