उर्जित पटेल की राह चले विरल आचार्य, किन मुद्दों पर था मनमुटाव डिटेल में पढ़ें

RBI  और केंद्र सरकार की कलह में अब तक बहुत कुछ हो चुका है लेकिन डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य की विदाई के साथ ही इस युद्ध का पहला चक्र समाप्त हो गया. महज़ सात महीने में ये दूसरा वाकया है जब इस उच्च प्रतिष्ठित संस्थान से जुड़े किसी शीर्ष अधिकारी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले दफ्तर छोड़ दिया. विरल के आरबीआई में छह महीने अभी और बचे थे.
विरल से पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल काफी हो-हल्ले के बीच पिछले साल दिसंबर में पद छोड़कर निकल गए थे. पटेल के इस्तीफे को आरबीआई की खत्म की जा रही स्वायत्ता से जोड़कर देखा गया था और तब विरल भी अपने बॉस के साथ खड़े थे. उर्जित ने जैसे ही पद छोड़ा तभी से कयास लग रहे थे कि विरल भी देर-सवेर यही रास्ता अपनाएंगे. हालांकि उर्जित पटेल ने निजी कारणों का हवाला दिया था और विरल भी शायद न्यूयॉर्क में अध्यापन करने जा रहे हैं. वो न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेटर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर प्रोफेसर नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं. बावजूद इसके चर्चा तेज़ है कि दोनों ही अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय से भिड़ने की कीमत चुकाई है.
उल्लेखनीय है कि विरल आचार्य कई मुद्दों पर अपने पूर्व बॉस उर्जित पटेल से ज़्यादा मुखर थे और वो जो कुछ कहते थे वो कई बार सरकार को असहज स्थिति में डाल देता था. 26 अक्टूबर 2018 को विरल ने अपने एक भाषण में कहा था- सरकार आरबीआई की स्वायत्ता खत्म करने की कोशिश कर रही है जिसके बदले उसे बाज़ार की नाराज़गी देर-सवेर झेलनी पड़ेगी. उनके ऐसा कहने को सरकारी हलकों में वित्त मंत्रालय के खिलाफ आरबीआई की ओर से खींचतान का खुला एलान माना गया. तुरंत ही आरबीआई पर वित्तमंत्री और उनके खेमे ने बयानों की बमबारी कर डाली.
इसके अलावा विरल आचार्य ने जब कहा था कि आरबीआई टेस्ट मैच खेल रहा है जबकि सरकार 20-20 खेलना चाहती है तब भी संघ के स्वदेशी जागरण मंच वाले एस गुरूमूर्ति ने नाराज़गी ज़ाहिर की थी. बीते कुछ महीनों से डिप्‍टी गवर्नर विरल आचार्य आरबीआई के नए गवर्नर शक्‍तिकांत दास के फैसलों से अलग विचार रख रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछली दो मॉनीटरिंग पॉलिसी की बैठक में महंगाई दर और ग्रोथ रेट के मुद्दों पर विरल आचार्य के विचार अलग थे. खबरों की मानें तो हाल ही की मॉनीटरिंग पॉलिसी बैठक के दौरान राजकोषीय घाटे को लेकर भी विरल आचार्य ने गवर्नर शक्‍तिकांत दास के विचारों पर सहमति नहीं जताई थी.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भारतीय इकोनॉमी के लिहाज से उर्जित पटेल का इ्स्तीफा तीसरा बड़ा इस्तीफा था. उन्होंने दिसंबर 2018 में पद त्याग किया जबकि उनसे पहले अरविंद सुब्रमण्यम ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत कारणों से मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं अगस्‍त 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया ने भी पद छोड़ दिया था. अब डिप्टी गवर्नर का त्यागपत्र भी आ गया है जिसके बाद पुरानी चर्चाओं का हवा मिल गई है. तीन साल पहले विरल आचार्य 23 जनवरी 2017 को डिप्टी गवर्नर के तौर पर आरबीआई में आए थे. उनके जाने के बाद अब तीन डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन, बी पी कानूनगो और एम के जैन आरबीआई में बचे हैं.

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