चुनाव आयोग बताए, लवासा को किससे है जान का ख़तरा

क्या सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत माँगी गई जानकारी को देने से किसी की जान को कोई ख़तरा हो सकता है? यह इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि इंडिया टुडे समूह की ओर से आरटीआई के तहत माँगी गई जानकारी में चुनाव आयोग ने कुछ ऐसा ही जवाब दिया है। समूह की ओर से चुनाव आयोग से पूछा गया था कि 2019 लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान राजनेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों पर आयोग द्वारा क्या फ़ैसला लिया गया था, इस बारे में जानकारी दें।

समूह ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा दिए गए भाषणों को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की क्या राय थी, इसे भी साझा करें।

Read News- PM नरेंद्र मोदी कैसे दोगुनी करेंगे किसानों की आय? WTO में EU ने उठाया सवाल
अब इसे लेकर चुनाव आयोग का जो जवाब है, वह वास्तव में अजीब है। आयोग ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के नियम 8(1)(g) का हवाला देते हुए कहा है कि इस सूचना को नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इस सूचना को देने से किसी व्यक्ति की जिंदगी को या उसकी शारीरिक सुरक्षा या उसकी पहचान को ख़तरा हो सकता है। 

More videos

See All