बजट 2019: बीमार है देश की चिकित्सा व्यवस्था, क्या वित्त मंत्री देंगी बूस्टर डोज?

मोदी सरकार ने देश के करोड़ों गरीबों को मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान जैसी महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, लेकिन सच तो यह है कि देश में चिकित्सा सेवा की सेहत खुद खराब है. अस्पतालों, बुनियादी ढांचे और डॉक्टरों की बेहद कमी है. चमकी बुखार से 100 से ज्यादा बच्चों के मरने की भयावह घटना यह साबित करती है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में आमूल बदलाव किए बिना कोई भी इलाज व्यवस्था कारगर नहीं हो सकती है.

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अंतरिम बजट में सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 63,298 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, लेकिन यह स्वास्थ्य क्षेत्र की जरूरतों के लिहाज से नाकाफी है. इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट में वित्त मंत्री इस सेक्टर में आमूल बदलाव करने के लिए कोई बड़ा कदम उठाती हैं या नहीं.
अंतरिम बजट में उपेक्षा!
फरवरी में अंतरिम बजट पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपने भाषण में स्वास्थ्य क्षेत्र की खास चर्चा नहीं की. सिर्फ आयुष्मान भारत से लाभान्वित जनता और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के फायदों की बात की गई थी. हरियाणा में एक नए एम्स की स्थापना की घोषणा की गई थी. हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट बढ़ाकर 63,298 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जिसमें से आयुष्मान भारत के लिए 6,400 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है. वर्ष 2018-19 में स्वास्थ्य के लिए 52,800 करोड़ रुपये के बजट निर्धारित था.
पीएम मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद के 1.02 फीसदी से बढ़ाकर 2.5 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, दूसरे देशों के आंकड़ों को देखें तो यह लक्ष्य भी कोई बहुत प्रभावित करने वाला नहीं दिखता. असल में स्वास्थ्य क्षेत्र को बूस्टर डोज की जरूरत है और मजबूत मोदी सरकार से इसकी उम्मीद तो की ही जा सकती है.       
चमकी बुखार से उठे सवाल
जानकारों का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र सेवाओं तक गरीबों की पहुंच और किफायत के हिसाब से आयुष्मान भारत एक बेहतरीन योजना है, लेकिन सबसे जरूरी है स्वास्थ्य क्षेत्र के समूचे बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करना. क्योंकि बिहार, यूपी के इंसेफलाइटिस से पीड़ित बच्चों के लिए आयुष्मान जैसी योजनाएं नहीं बल्कि बेहतरीन स्वास्थ्य ढांचा जरूरी है. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इंसेफलाइटिस के इलाज के लिए एक विशेष केंद्र बनाया गया है, लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर या अन्य पीड़ित इलाकों में भी इस तरह के केंद्र बनाने होंगे. इसलिए इस बार बजट पर सबकी नजर होगी कि वित्त मंत्री इस खतरनाक हो चुकी बीमारी से निपटने के लिए क्या घोषणा करती हैं.

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