गृह मंत्रालय ने पूछा : जहां राज्य को ही देनी है एनओसी, वहां क्यों नहीं शुरू हुआ काम
इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड प्रोजेक्ट की धीमी गति को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है। नए गृह मंत्री अमित शाह के चार्ज संभालते ही इस प्रोजेक्ट के बारे में यूपी के अफसरों से जानकारी ली जा रही है। पूछा गया है कि वन भूमि में प्रस्तावित सड़क पर अब तक काम शुरू क्यों नहीं हुआ है, जिसमें राज्य सरकार को एनओसी देनी है। गृह मंत्रालय के रुख से विभागों में खलबली मची है। अधिकारी फाइलों को पलटने में जुटे हैं।
दरअसल, यह प्रोजेक्ट नौ साल से अटका है। गृह मंत्रालय ने इंडो-नेपाल बॉर्डर पर आईएसआई की बढ़ती गतिविधियों पर वर्ष 2010-11 में इसे मंजूरी दी थी। इसके तहत प्रदेश के सात जिलों पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज से सटी 570 किमी. लंबी भारत-नेपाल सीमा पर सड़क निर्माण होना है। लेकिन अभी तक 128 किलोमीटर सड़क ही बनी है। इसकी मुख्य वजह है-वन एवं पर्यावरण से संबंधित एनओसी का न मिल पाना है।
मोदी सरकार-2 ने इस प्रोजेक्ट को गंभीरता से लिया है, क्योंकि देश की सुरक्षा के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है। प्रोजेक्ट के तहत 299 किलोमीटर लंबी सड़क वन भूमि के तहत आ रही है। नियम है कि भारत-नेपाल सीमा के 15 किलोमीटर के भीतर वन भूमि पर सड़क बनाने के लिए राज्य सरकार अनुमति दे सकता है।