
पंजाब में कम मतदान ने छीना दलों का चैन, सियासी गणित में सभी जुटे
पंजाब में पिछले साल की तुलना में कम मतदान ने एक तरफ चुनाव आयोग की नींद उड़ा दी है। तो पार्टियां का चैन भी छीन लिया है। सभी सियासी दल कम पोलिंग का आकलन करने में लगे हैं। पंजाब में इस बार औसतन 65.96 फीसदी मतदान हुआ है। जबकि, 2014 में औसत मतदान 70.64 प्रतिशत था। इस बार सबसे कम पोलिंग अमृतसर, होशियारपुर और लुधियाना में हुई है। जबकि, सबसे ज्यादा पोलिंग बठिंडा, संगरूर में हुई है।
शिअद-भाजपा गठबंधन को लग रहा है कि उनका कैडर बूथों पर एक्टिव था। उन्होंने पहले ही अपने वोटरों के वोट डलवा लिए। जबकि, दो साल से दरकिनार किए जाने से कांग्रेस के वर्कर हताश थे, उन्होंने अपने वोटरों को बूथों तक लाने में उत्साह नहीं दिखाया। साथ ही लोग भी कांग्रेस के कार्यकाल से निराश हैं, इसलिए उन्होंने भी पोलिंग में खास उत्साह नहीं दिखाया।
इस विचारधारा पर भी मंथन किया जा रहा है कि पिछली बार आप की लहर थी। जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने आप के पक्ष में मतदान किया था। वे वोटर आप का हाल देख कर इस बार बेहद निराश थे। वे वोट डालने घर से निकले ही नहीं।
  शिअद-भाजपा गठबंधन को लग रहा है कि उनका कैडर बूथों पर एक्टिव था। उन्होंने पहले ही अपने वोटरों के वोट डलवा लिए। जबकि, दो साल से दरकिनार किए जाने से कांग्रेस के वर्कर हताश थे, उन्होंने अपने वोटरों को बूथों तक लाने में उत्साह नहीं दिखाया। साथ ही लोग भी कांग्रेस के कार्यकाल से निराश हैं, इसलिए उन्होंने भी पोलिंग में खास उत्साह नहीं दिखाया।
इस विचारधारा पर भी मंथन किया जा रहा है कि पिछली बार आप की लहर थी। जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने आप के पक्ष में मतदान किया था। वे वोटर आप का हाल देख कर इस बार बेहद निराश थे। वे वोट डालने घर से निकले ही नहीं।


 
 