गुजरात में भीषण जलसंकट, कच्छ व सौराष्ट्र से पशुपालकों का पलायन

गुजरात में भीषण जलसंकट को देखते हुए अब राज्य सरकार उद्योगों को उपयोग के लिए 75 फीसद तक रिसायकल वाटर उपलब्ध कराएगी। उधर, महानगर पालिका को दिए जाने वाले पानी के दाम में भी प्रति हजार 29 पैसा बढ़ा दिया है। राज्यों के नर्मदा बांध सहित प्रमुख बांधों में पानी का स्रोत नीचे चला गया है। करीब 110 बांध ऐसे हैं, जिनमें पानी की एक बूंद भी नहीं बची है।
सौराष्ट्र, कच्छ व उत्तर गुजरात में सिंचाई व पेयजल का गंभीर संकट बना हुआ है। कच्छ से कई पशुपालक परिवार अपना घर छोड़कर अहमदाबाद, सूरत व राजकोट जैसे शहरों के आसपास पड़ाव डाल रहे हैं। राज्य सरकार ने जनवरी में ही 300 करोड़ का जल संरक्षण व जलस्रोतों के पुनरुद्धार का कार्यक्रम चलाया है, लेकिन लोकसभा चुनाव आ जाने से अभियान जोर नहीं पकड़ पाया।
पिछले वर्ष भी सरकार ने जनभागीदारी से ऐसा अभियान चलाकर राज्या के जलसंग्रह में हजारों लाख घन फुट की बढ़ोतरी की थी, लेकिन सरकार व प्रशासन के अकुशल जलप्रबंधन के चलते अप्रैल से ही राज्यभर में लोगों को जलसंकट का सामना करना पड़ गया। मुख्यपमंत्री विजय रूपाणी ने जिला कलेक्टरों के साथ बैठक कर जलसंकट से निपटने के निर्देश दिए। दूरदराज इलाकों में जहां पाइप लाइन से पानी नहीं पहुंचाया जा सकता, वहां टैंकर से पानी भेजने की बात कही गई है।
 

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