अलवर गैंगरेप केस : पीड़िता का आरोप, कार्रवाई के लिए चुनाव बीतने का इंतजार करती रही पुलिस

राजस्थान के अलवर में सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मदद के मामले में देरी कर रही पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. इस मामले की जांच में देरी को लेकर राजस्थान पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. घटना 26 अप्रैल की लेकिन एफआईआर 30 अप्रैल को दर्ज की गई और 7 दिन बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू हुई. आरोप है कि चुनाव के कारण पुलिस ने इसमें देरी की. अलवर में 6 मई को चुनाव हुए थे. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लापरवाही के आरोप में एसपी और इलाक़े के एसएचओ का तबादला कर दिया है. मामले की जांच के लिए शुक्रवार को राष्ट्रीय एससी आयोग की टीम भी पहुंची थी जिसने लापरवाही की बात मानी है और दोषी पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफ़ारिश की है. राजस्थान सरकार ने भी मामले की जांच डिविज़नल कमिश्नर स्तर के अधिकारी को सौंपी है. वहीं भीम आर्मी ने कल इस घटना को लेकर जयपुर में विरोध प्रदर्शन भी किया था.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष एल मुरगन का कहना है कि पुलिस के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, मामले की दैनिक निगरानी हो और चार्जशीट 15 दिन के भीतर दायर होनी चाहिए . मुरगन ने आयोग के सचिव प्रीतम सिंह के साथ राजस्थान ने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और वरिष्ठ पुलिस गर्ग से मिलकर मामले में प्रगति की समीक्षा की. मुरगन ने बताया कि गैंगवार बलात्कार पीड़िता महिला को महिला और बाल विकास विभाग की ओर से मिलने वाले 50 हजार के अलावा 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जा चुका है. 

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