श्रीराम बनाम मां काली: पश्चिम बंगाल में हिंदू वोटरों पर बीजेपी और टीएमसी की नजर

चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी के साथ पश्चिम बंगाल में सियासी पारा इन दिनों चढ़ा हुआ है। एक ओर बीजेपी बंगाल में 7 चरणों की लड़ाई के आखिरी चरण तक सारे दांव-पेच आजमा रही है, वहीं ममता बनर्जी भी बंगाल की शेरनी की तरह बीजेपी का डटकर मुकाबला कर रही हैं और एक इंच भी पीछे हटने या झुकने के मूड में नहीं हैं। 
इन दिनों ममता बनर्जी चुनावी रैलियों में रौद्र रूप अख्तियार किए हुए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद मोदी सहित बीजेपी पर जुबानी हमले का एक भी मौका नहीं छोड़ रही हैं। मेदिनीपुर की रैली में उन्होंने कहा, 'एक दुई तीन, बीजेपी के बिदाई दिन। वे सोचते हैं कि बंगाल को हिंदू और मुस्लिम के बीच की लड़ाई बनाकर जीत सकते है। वे वोट चाहते हैं लेकिन हम उन्हें एक बड़ा रसगुल्ला देंगे जिसमें कंकड़-पत्थर भी होंगे।' 

दिलचस्प यह है कि पश्चिम बंगाल में लगातार 34 साल तक राज करने वाली सीपीएम अब तस्वीर से बिल्कुल बाहर है। ममता के भाषणों में उसका जिक्र तक नहीं है। बंगाल की राजनीति में पिछले कुछ सालों से एक प्रभावशाली बदलाव आया है। पश्चिम बंगाल में लेफ्ट का आज पूरी तरह पतन हो चुका है, जिसका किला 7 साल पहले ममता बनर्जी ने ढहाया था। 

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