पीएम ग्राम परिवहन: गांवों में 80,000 व्यावसायिक वाहन देने का था वादा, लेकिन योजना ही लागू नहीं हुई

भारत की आत्मा गांवों में बसती है, यह भारतीय राजनीति का एक मशहूर वाक्य है. लेकिन, गांवों के साथ कैसे दशकों से छल होता आ रहा है, इसके कई उदाहरण हर जगह मौजूद हैं. इसी क्रम में सबसे ताजा उदाहरण है, प्रधानमंत्री ग्राम परिवहन योजना. भले ही आपने इस योजना का नाम न सुना हो, लेकिन इस योजना के जरिए एक बार फिर भारत के गांवों को सुनहरे सपने दिखाए गए थे. एक ऐसा सपना जो शायद ही पूरा हो पाए.
10 जुलाई 2016 को न्यूज़ एजेंसी पीटीआई द्वारा जारी एक खबर में यह बताया गया कि प्रधानमंत्री ग्राम परिवाहन योजना नामक एक नई योजना लॉन्च की जा रही है, जिसका उद्देश्य रियायती मूल्यों पर 80000 व्यावसायिक यात्री वाहन ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदान करना है, ताकि डेढ़ लाख ग्रामों की परिवहन प्रणाली को मजबूत बनाया जा सके.
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, ‘आज की तारीख में सड़कें अपनी जगह पर हैं, परंतु सार्वजनिक परिवहन की कमी है. इसी के चलते सरकार इस पक्ष में है कि 10-12 सीटर यात्री वाहन रिटायर्ड सुरक्षा कर्मियों एवं महिला स्वयं-सहायता संगठनों को रियायती दरों पर प्रदान किया जाए.’
14 जून 2017 में एक और खबर यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया द्वारा जारी की गई. इस खबर के मुताबिक, इस योजना के तहत अब महिला स्वयं-सहायता संगठनों को बिना ब्याज के कर्ज दिया जाएगा, ताकि वह इन वाहनों को खरीद सकें. यह योजना 15 अगस्त को शुरू की जाने वाली थी.
इस विषय पर हमने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से एक आरटीआई के तहत कुछ सवाल पूछे, जैसे:
1. 2016 से 2017 तक कितने रियायती वाहनों के प्रस्ताव किन राज्यों को प्रदान किया गया?
2. कौन से जिले और ग्राम इस योजना के अंदर शामिल हैं?
3. इस योजना के कारण कितनी नौकरियां लोगों को मिली?
उपरोक्त सवालों को ले कर मंत्रालय के पास कोई जानकारी नहीं थी. नतीजतन, यह आरटीआई ग्रामीण विकास मंत्रालय को ट्रांसफर की गई. ग्रामीण विकास मंत्रालय से जो जवाब आया वह जवाब चौंका देने वाला था.
जवाब में कहा गया कि यह योजना लागू ही नही हुई और इस वजह से इसे ले कर कोई जानकारी मौजूद नहीं है. हां, हमें ये जरूर बताया गया कि ‘आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना’ नामक एक नई सब स्कीम शुरू की गई, जिसका उद्देश पिछली स्कीम से लगभग मिलता-जुलता है.

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