योगी क्या इस बार हिंदुत्व और मंदिर के नाम पर बचा पाएंगे गोरखपुर-लोकसभा चुनाव 2019

"गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है." साल 2000 से चला यह नारा अब लोगों के ज़ुबान पर उतनी अक्रामकता से नज़र नहीं आता लेकिन बीजेपी की रैलियो में जुटे समर्थक गोरखपुर से बीजेपी के उम्मीदवार रवि किशन को योगी से जोड़ने के लिए नया नारा लगाते हैं- "अश्वमेध का घोड़ा है, योगीजी ने छोड़ा है."
दोनों नारों में योगी कॉमन नज़र आते हैं. लेकिन क्या योगी और गोरक्षनाथ मठ आज भी गोरखपुर की राजनीति में बाजी पलटने का दम रखते हैं. पांच साल पहले इसका जवाब हां हो सकता था लेकिन अब गोरखपुर की बयार थोड़ी अलग है. गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभाएं आती है, गोरखपुर ग्रामीण, गोरखपुर शहर, सहजनवां, पिपराइच, कैम्पियरगंज. जनता का मन टटोलने के लिए हम इन इलाकों में निकले.
गोरखपुर के वार्ड नंबर एक की मलिन बस्ती के गांव मल्लाह बहुल हैं. ये बस्ती 1700 एकड़ में फैले रामगढ़ ताल के किनारे बसी है. इस इलाक़े में बरगद के पेड़ के नीचे दोपहर को लोग जुटे हुए हैं और मुद्दा है लोकसभा चुनाव.
यहां रहने वाले सुनील निषाद कभी बीजेपी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता हुआ करते थे लेकिन इस बार वो बीजेपी को वोट ना देने की कई वजहें बताते हुए कहते हैं, "किसी को भी लेकर योगीजी, चाहे बीजेपी आ जाएगी तो वोट दे देंगे का (क्या), जीत जाएगा तो दिखइयो (दिखाई भी) नहीं देगा. बाबा को वोट देते थे काहे कि वो हमारे बीच के थे, मंदिर के थे. इनको (रवि किशन) जीतने के बाद कहां खोजेंगे?"
रवि किशन का प्रचार अगर योगी जी करेंगे तो क्या वे उन्हें अपना मान लेंगें? इस बात पर वो कहते हैं, ''अब वो जमाना नहीं है जब मंदिर को ही वोट दिया जाता था. हम काम से दुखी हो तो भी हिंदुत्व के नाम पर वोट दे दिया जाता था. मंदिर के नाम पर तो कोई भी जीत जाता, ये तो फिर भी महंत हैं. अपना धर्म भी तो है.''
सुनील निषाद जब ये कहते हैं उसी बीच सविता सिंह नाम की एक महिला आती हैं और बताने लगती हैं कि वो भाजपा समर्थक हैं और सालों साल से बीजेपी को वोट देते आई हैं लेकिन इस बार वो गठबंधन के साथ खड़ी हैं. वजह यह है कि पार्टी ने हमारे बीच के काबिल नेताओं को जगह नहीं दी.''

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