पिछले तीन सालों में भुखमरी से 65 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में लगभग 20 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 119 देशों की सूची में 103 वें नंबर पर हैं। और हर सियासी नारे में गरीबी मिटा देने के दावे होते हैं। लेकिन तमाम नारों के बावजूद देश की लगभग सत्तर फीसदी जनसंख्या अब भी गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रही है। देश के पीएम मोदी बार बार अपने भाषणों में कहते हैं -“गरीबी को मैंने जिया है। एक गरीब की ज़िंदगी कितनी कठिन होती है ये डगर डगर पर मैंने अनुभव किया है।” ठीक है, लेकिन बावजूद इसके गरीबों के लिए पीएम होते आप क्या कर रहे हैं ये समझ नहीं आता। बुधवार को रैली के लिए जयपुर जाते हैं। हिंदी वेब पोर्टल द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार जिस मैदान में रैली होनी है, उससे सटे हुए झुग्गियों को पुलिस कुछ मिनटों के अंदर बुलडोज़र के हवाले कर देती है। उसी झुग्गी में रहने वाली ललिता कहती हैं कि प्रशासन ने एक समारोह के लिए हमारा घर तोड़ दिया। एक तिरपाल जिससे हम अपना घर बनाते हैं, उसकी कीमत 500 रुपये होती है। ये खरीदना हमारे लिए आसान नहीं। उसी स्लम की एक महिला लक्ष्मी कहती हैं कि हमें कूड़े-कचरे से भरे मैदान में छोड़ दिया गया है। हम सड़कों पर रहते हैं। इसका मतलब ये नहीं कि कूड़े में रह लेंगे। इतनी गंदगी है कि खाना भी नहीं बना सकती। पूजा बताती हैं कि रविवार, जब से उनके घरों को तोड़ा गया है वो काम पर नहीं जा पा रही। क्योंकि सामान सड़कों पर बिखरा पड़ा है। जयपुर के इस चित्र से बाहर निकालकर हम आपको लिए चलते हैं दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में। दावे किए जाते हैं दिल्ली को स्विटजर लैंड बना दिए जाने के। शौचालय निर्माण के नाम पर खूब ब्रण्डिंग हुई। पर हकीकत क्या है आप वो बताते हैं वहाँ के लोग। लोग कहते हैं कि "हम अपने पड़ोस में शौचालय बनवाने की व्यवस्था करते हैं। कहते हैं कि बनवा के दो हमको शौचालय। ताकि बहन बेटियों की नहाने-धोने की सुरक्षा हो जाए। नेता ने वादे किए थे कि शौचालय बनवाएँगे। हमने वोट दिए। लेकिन वोट लेने के बाद उन्होंने पलट के जवाब नहीं दिया।" मतलब तमाम ब्राण्डिंग गरीबों के नाम पर लेकिन फ़ायदा अमीरों को। देश की कुल संपत्ति का तिहत्तर प्रतिशत हिस्सा देश के एख प्रतिशत अमीरों के पास है। ये फ़ासला लगातार बढ़ रहा है। गरीबी के आपके अनुभव अगर सच्चे भी हैं, तो इससे देश के गरीबों को फ़ायदा क्या हो रहा है, ये समझ से परे है। क्या आपने भी गरीबी का कोई किस्सा देखा है जिसने आपको चौंका दिया। अगर हाँ तो सांझा करिए अपने अनुभव हमारे साथ।