मोदी पहले ऐसे पीएम नहीं, राजीव गांधी को भी कहा गया था ‘चोर’

‘चौकीदार चोर है’ ये कांग्रेस का नया नारा है. राहुल गांधी हर मंच से ये नारा लगाते हैं. सामने बैठी जनता से भी लगवाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को चौकीदार घोषित कर रखा है. और कांग्रेस ने उन पर राफेल की खरीद में अनिल अंबानी की मदद करने का आरोप लगा रखा है. ये सुनते ही बीजेपी नेता क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं ‘कांग्रेस प्रधानमंत्री को चोर बोलकर उनके पद की गरिमा गिरा रही है.’
सच ये है कि मोदी पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं जिन्हें चोर कहा गया. इनसे 30 साल पहले प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी के लिए विपक्ष ने नारा दिया था ‘गली गली में शोर है, राजीव गांधी चोर है.’ 1989 के लोकसभा चुनाव में ये नारा निकला था और बीजेपी प्रमुख विपक्षी पार्टी थी. बीजेपी का तर्क होता है कि जनता ने प्रचंड बहुमत देकर सरकार चुनी है, कांग्रेस उसका सम्मान नहीं कर रही. 2014 में बीजेपी को 282 सीटें मिली थीं, जबकि राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तो उनकी पार्टी को 541 में से 414 सीटें मिली हुई थीं.
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 और 1989 के चुनाव में बहुमत और चोर का नारा ही कॉमन नहीं था. जैसे आज बीजेपी के खिलाफ तमाम पार्टियां गठबंधन बनाकर या गठबंधन के बाहर से खड़ी हैं, उस वक्त भी यही माहौल था. जनता दल बनाने वाले वीपी सिंह के की अगुवाई में सारी पार्टियां राजीव गांधी को हराने के लिए एकजुट थीं. पीएम मोदी के शब्दों में कहें ‘महामिलावट खिचड़ी’ एक मजबूत सरकार को गिराकर कमजोर सरकार बनाना चाहती थी. तब राजीव गांधी का भी यही तर्क था कि गठबंधन में कार्यकर्ताओं से ज्यादा तो नेता हैं.
इन समानताओं के साथ 30 साल पहले के उस चुनाव में कुछ फर्क भी थे. सूचना का साधन सिर्फ अखबार थे. जिन पर फ़ेक न्यूज़ और फोटोशॉप्ड तस्वीरें नहीं फैलाई जा सकती थीं. टीवी रेडियो भी झूठ नहीं फैला सकते थे. नेता विरोधियों को मंच से गाली और श्राप नहीं देते थे. चोर कहना सबसे ज्यादा भड़काऊ नारा था.

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