मोदी सरकार ने की किशोरी शक्ति योजना बंद; महिला सशक्तिकरण के 33 फीसदी प्रोजेक्ट कम हुए

साल 2006-07 में किशोरवय लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए एक योजना लॉन्च की गई थी. इस योजना का नाम था ‘किशोरी शक्ति योजना’. भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक आवश्यक और शानदार कदम था.
यह योजना असल में आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम) का ही विस्तार थी. इस योजना के तहत 11 से 18 साल की लड़कियों को लक्षित किया गया था और इसमें 6118 ब्लॉक को शामिल किया गया था.
इस योजना का मकसद था कि लड़कियों को शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनाया जाए, उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया जाए, वे अपने सामाजिक वातावरण को समझ सकें और उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाया जा सके.
लेकिन क्या आपको पता है कि मोदी सरकार ने एक अप्रैल 2018 को इस योजना को बंद कर दिया और इसकी जगह ‘स्कीम फॉर अडॉलेसेंट गर्ल’ यानी कि एसएजी लॉन्च किया. यह जानना जरूरी है कि किशोरी शक्ति योजना को लेकर मोदी सरकार क्या कहती है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से मिले आरटीआई जवाब के अनुसार, 2010 में पूरे देश में इस योजना के तहत (किशोरी शक्ति योजना) 6118 प्रोजेक्ट चल रहे थे. इसका अर्थ है कि सभी ब्लॉक में कम से कम एक प्रोजेक्ट चल रहा था.
साल 2010 में ‘सबला’ या ‘राजीव गांधी स्कीम फॉर एडॉलेसेंट गर्ल’ के लॉन्च होने के बाद, इन प्रोजेक्ट्स की संख्या में कमी आई और यह 6118 से घटकर 4194 हो गई.
यानी, किशोरी शक्ति योजना से करीब 33 फीसदी ब्लॉक को बाहर कर दिया गया और संभवत: उसे ‘सबला’ योजना के तहत भेज दिया गया, जिसमें यूपी के 22, एमपी के 15, बिहार के 12, महाराष्ट्र के 11 और राजस्थान के 10 जिले शामिल हैं.
‘सबला’ योजना के क्रियान्वयन के बाद, साल 2010-11 में सरकार ने इस योजना पर 3365 करोड़ खर्च किए गए और 24.81 लाख लड़कियों को कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण दिया गया.
साल 2014-15 के दौरान जब मोदी सरकार केंद्र की सत्ता में आ चुकी थी, सरकार ने लड़कियों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अपने पहले बजट में किशोरी शक्ति योजना पर किया जाने वाला खर्च कम कर के 1489 करोड़ रुपये कर दिया.
दिलचस्प रूप से किशोरी शक्ति योजना पर विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा किया जाने वाला खर्च 1602 करोड़ रुपये था. इस पैसे से लगभग 15.18 लाख लड़कियों को कौशल विकास प्रशिक्षण मिल सका.
साल 2017-18 में किशोरी शक्ति योजना को हटाने से पहले भारत सरकार ने 6.28 लाख लड़कियों को कौशल विकास प्रदान करने के लिए केवल 464 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए.

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