5 महीनों में कांग्रेस के हाथ से निकलते क्यों दिख रहे 3 अहम राज्य?

महज पांच महीने पहले ही हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव हुए, जहां कांग्रेस पार्टी बीजेपी से सत्ता छीनने में कामयाब रही। इनमें एमपी और छतीसगढ़ में तो बीजेपी पिछले 15 वर्षों से काबिज थी। हालांकि 5 महीनों में ही इन तीनों राज्यों में स्थितियां बदलती दिखाई दे रही हैं। लोकसभा चुनाव में भले कांग्रेस पहले से तगड़ी लग रही हो, लेकिन तीनों जगह बीजेपी के मजबूत आधार को पूरी तरह तोड़ने में नाकाम दिख रही है। 
इसके कई कारण माने जा रहे हैं। एक वजह विधानसभा और लोकसभा चुनावों का अलग-अलग मुद्दों और आधार पर लड़ा जाना है। दूसरी दलील यह भी दी जा रही है कि छत्तीसगढ़ को छोड़ दिया जाए तो बाकी दोनों जगह कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर रही थी। ऐसे में इतनी जल्दी बीजेपी के खारिज होने का सवाल ही नहीं उठता। राजनीतिक पंडित यह भी मान रहे हैं कि कांग्रेस को राज्यों में आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। ऐसे में राज्य वाले प्रदर्शन की उम्मीद रखना कुछ ज्यादती होगी। 
असेंबली चुनाव में बीजेपी को लेकर जो सत्ता विरोधी लहर थी, वह लोकसभा चुनाव आते-आते काफी खत्म हुई है। कांग्रेस को मिल रही चुनौती के पीछे एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है। दरअसल बीजेपी ने सत्ता के खिलाफ गुस्से से बचने की रणनीति पर विधानसभा चुनावों के दौरान ही अमल शुरू कर दिया था। राजस्थान में तब बाकायदा नारा चला था- मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुधंरा तेरी खैर नहीं। 
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी 6 माह से कम समय में बीजेपी के मजबूत संगठन को हिलाना। फिर कांग्रेस के कई बड़े नेता जो कुछ समय पहले तक सीएम की रेस में थे, वह किसी न किसी वजह से अपने राज्यों में ज्यादा रुचि और समय नहीं दे पा रहे हैं। यह बात खासतौर पर राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट और मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में कही जा रही है। सिंधिया अपने लोकसभा चुनाव और यूपी के प्रभार के चलते एमपी से दूर हैं। 

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