कैसे 5 साल में बदलता चला गया PM नरेंद्र मोदी के भाषणों का फोकस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पांच साल पहले सत्ता में आए तो उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर लोगों की भावनाओं को जगाया. राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर भ्रष्टाचार तक और महंगाई से लेकर बेरोजगारी तक. उन्होंने इसके लिए कई नारे दिए जिन्हें सोशल मीडिया ने हाथोहाथ लिया.
इंडिया टुडे के डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के भाषणों का विश्लेषण किया और पाया कि उनके कंटेंट का फोकस कैसे बदला. मोदी के भाषणों में कैसे जोर ‘गरीब’ की जगह ‘चौकीदार’ पर आ गया.
विश्लेषण के लिए हमने मोदी के 2014 और 2019 के पांच-पांच चुनाव पूर्व भाषणों को लिया. जैसे कि 2014 में पटना, वाराणसी, दिल्ली, चेन्नई और मेरठ. इसी तरह 2019 में भागलपुर, केंद्रपाड़ा, मुरादाबाद, पणजी और बुनियादपुर.
अगर 2014 की बात की जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों में खासा जोर ‘गरीब’ शब्द पर रहा. ये शब्द तब उनके भाषणों में 55 बार आया. लेकिन 2019 की बात की जाए तो प्रधानमंत्री के भाषणों में ‘गरीब’ शब्द का जिक्र 44 बार ही हुआ. लेकिन फ्रीक्वेंसी घटने के बावजूद प्रधानमंत्री के भाषणों में ‘गरीब’ दूसरा सबसे ज्यादा बोले जाना वाला शब्द रहा.
2014 में मोदी के भाषणों में ‘गरीब’ के अलावा ‘कांग्रेस’ (43), ‘बीजेपी’ (31), ‘गुजरात’ (28), ‘किसान’ (28) और ‘विकास’ (25) सबसे ज्यादा बोले जाने वाले शब्दों में शामिल रहे.
अगर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों की बात की जाए तो उन्होंने ‘चौकीदार’ शब्द का सबसे ज़्यादा (106 बार) इस्तेमाल किया. मार्च में प्रधानमंत्री ने विपक्ष की ओर से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के बाद ट्विटर पर ‘मैं भी चौकीदार’ कैम्पेन शुरू किया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पार्टी के प्रचार के दौरान अधिकतर भाषणों में ‘चौकीदार चोर है’ नारे का इस्तेमाल कर रहे हैं.
आजतक के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्ष की ओर से उनकी पृष्ठभूमि का मखौल उड़ाए जाने की वजह से उन्हें चौकीदार कैम्पेन शुरू करना पड़ा.
‘चौकीदार’ और ‘गरीब’ के अलावा 2019 में मोदी के भाषणों में ‘मोदी’ (42), ‘कांग्रेस’ (38), ‘विकास’ (31), ‘किसान’ (23) और ‘बीजेपी’ (21) सबसे ज्यादा बोले जाने वाले शब्द रहे.
2014 लोकसभा चुनाव में मोदी अपने भाषणों में विकास के गुजरात मॉडल पर विशेष बल देते थे. इसीलिए उन्होंने तब ‘विकास’ शब्द का 25 बार और ‘गुजरात’ का 28 बार इस्तेमाल किया. वहीं 2019 के उनके भाषणों में ‘विकास’ का 31 बार और ‘गुजरात’ का सिर्फ एक बार ही उल्लेख हुआ.
2014 और 2019 लोकसभा चुनाव, दोनों में ही मोदी के भाषणों में किसानों के मुद्दे टॉप पर रहे. 2014 के चुनाव भाषणों में मोदी ने ‘किसान’ शब्द का इस्तेमाल 28 बार और 2019 में 23 बार किया.
‘गरीबी’ और ‘बेरोजगारी’ ऐसे मुद्दे हैं जिनका बीजेपी ने 2019 के अपने चुनाव घोषणा पत्र में विस्तार से जिक्र नहीं किया है. इनका पीएम मोदी के हालिया भाषणों में भी ज्यादा उल्लेख नहीं हुआ.
2014 में ‘गरीबी’ शब्द का मोदी ने अपने भाषणों में 19 बार जिक्र किया जबकि 2019 में इसका उल्लेख उन्होंने महज 3 बार ही किया.
संयोगवश विपक्ष का इस चुनाव के लिए गरीबी ही केंद्रीय मुद्दा है और वो बार-बार अपनी न्यूनतम आय योजना (न्याय) का जिक्र कर इसे उछाल रहा है.
इसी तरह, ‘बेरोजगारी’ शब्द मोदी के 2014 के भाषणों में 6 बार आया था, लेकिन 2019 में यह शब्द नदारद रहा. अभी हाल में ऐसी रिपोर्ट आई थीं कि बेरोजगारी आल-टाइम अपने सर्वोच्च स्तर पर है. लेकिन पीएम मोदी ने आजतक को दिए इंटरव्यू में ऐसे दावों को खारिज किया था और कहा था कि उनके पास नए रोजगारों के सृजन के लिए रणनीति तैयार है.

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