गंगा सफाई के मिली राशि पर मोदी सरकार ने कमाया 100 करोड़ रुपये का ब्याज

भले राम जी की गंगा मैली की मैली ही रह गई, लेकिन तब भी गंगा इस देश की आधी आबादी की आजीविका का साधन बनी हुई है. तब भी गंगा राजनेताओं की राजनीति का एक अहम ज़रिया बनी हुई है. इससे भी आगे ये कि गंगा के नाम पर केंद्र सरकार न सिर्फ करोड़ों रुपये आम आदमी से दान के तौर पर ले रही है बल्कि उसे ख़र्च न करते हुए, साल दर साल उस पैसे पर भारी ब्याज भी कमा रही है.
गंगा जल की बिक्री कर पोस्ट ऑफिस के ज़रिये भी सरकार पैसा कमा रही है. कुल मिलाकर ये कि मां गंगा भले अपने अस्तित्व की लड़ाई से जूझ रही हो, लेकिन तब भी अपने बेटे के ख़जाने को भरती जा रही है.
उदाहरण के लिए, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के तहत एक फंड बनाया गया था, जिसका नाम है क्लीन गंगा फंड. यह फंड 2016 में बना था. इस फंड में आम लोगों ने अपनी तरफ से आर्थिक योगदान किया और कर रहे हैं.
बीते छह नवंबर 2018 को भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय से आरटीआई के तहत दी गई सूचना के मुताबिक, 15 अक्टूबर 2018 तक इस फंड में 266.94 करोड रुपये जमा हो गए थे.
इसके अलावा, मार्च 2014 (नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से ठीक 2 महीने पहले) में नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के खाते में जितना भी अनुदान और विदेशी लोन के तौर पर रुपये जमा थे, उस पर सात करोड़ 64 लाख रुपये का ब्याज सरकार को मिला था.
अब सीधे आते है, मार्च 2017 में. मार्च 2017 में इस खाते में आई ब्याज की रकम सात करोड़ से बढ़कर 107 रुपये हो गई. यानी, तीन साल में मोदी सरकार ने कुशलतापूर्वक अकेले एनएमसीजी के खाते से 100 करोड़ रुपये का ब्याज कमा लिया.

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