मुंबई में कांग्रेस के लिए फिर खड़े होने की चुनौती, एक भी लोकसभा सीट पास नहीं

देश के सबसे बड़े महानगर मुंबई की छह में से एक भी लोकसभा सीट कांग्रेस के पास नहीं है। 1990 के बाद ऐसा दो लोकसभा चुनावों में हुआ जब कांग्रेस यहां सारी सीटें खो बैठी। 1992 में बाबरी विध्वंस के पश्चात 93 में यहां दंगे हुए और 1996 के चुनाव में पार्टी हारी।
फिर 2014 में मोदी लहर उसे ले डूबी। कांग्रेस यहां भले आंतरिक संघर्षों से जूझ रही है परंतु उसने उम्मीद नहीं खोई है। वह वापसी को बेताब है। उसके साथ है, एनसीपी। भाजपा-शिवसेना फिर साथ हैं। जो पुराना प्रदर्शन दोहराने को कटिबद्ध हैं। 
यह सीट कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को मिलती रही है। पिछली बार भाजपा के गोपाल शेट्टी ने कांग्रेस के संजय निरूपम को 4.5 लाख वोटों से हराया था। इस बार शेट्टी एकतरफा जीत के प्रति आश्वस्त थे मगर कांग्रेस ने फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को उतार कर मुकाबला रोचक बना दिया। खुद को ‘मुंबई ची मुलगी’ यानी मुंबई की बेटी बताने वाली उर्मिला से टक्कर के लिए शेट्टी को कमर कसनी पड़ गई।

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