‘बिना खर्च के लड़ा जा सकता है चुनाव’, चुनाव पर सबसे ज्यादा खर्च करके मोदी ने कहा

बनारस को निचोड़कर रस निकालने का वक्त आ गया है. कांग्रेस ने हथियार डालते हुए पिछली बार जमानत जब्त करा चुके अजय राय को बलि का बकरा बनाया है. गठबंधन की तरफ से भी प्रचार में कोई गंभीरता नहीं दिख रही. वहां सिर्फ बीजेपी है गंभीरता से चुनाव लड़ रही है, ऐसा लग रहा है. गंभीर हो भी क्यों न, पार्टी के सुप्रीम लीडर की इज्जत का सवाल है. शुक्रवार की सुबह जब देश का युवा मल्टिप्लेक्स में ‘अवेंजर्स-एंडगेम’ देख रहा है, मोदी बनारस में प्रचार कर रहे हैं.
बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी ने अपनी स्पीच में बड़े मारके की बात कही. कहा कि बिना खर्च के भी चुनाव लड़ा जा सकता है. इसके लिए बड़ा प्रैक्टिकल तरीका भी बताया.

बिना खर्च चुनाव लड़ने का तरीका
माना एक पोलिंग बूथ में हजार वोट हैं. मतलब ढाई सौ परिवार हैं. हमारे पास 25 कार्यकर्ता हैं. एक कार्यकर्ता को 10 परिवार सौंप दें. कार्यकर्ता का टीवी, अखबार, चाय, नाश्ता का खर्च बंद कर दीजिए. वो कार्यकर्ता एक परिवार में सवेरे चाय के टाइम पहुंच जाए. हाल चाल पूछे और चाय पी ले. दूसरे परिवार में जाकर अखबार पढ़ ले. तीसरे घर में टीवी देख ले. चौथे घर में नाश्ता कर लो. वोटिंग के दिन उन सब परिवारों को कहे कि इस बार कमल को वोट दीजिए.
आइडिया अच्छा है. प्रैक्टिकल है. हो सकता है कामयाब भी हो. लेकिन ये दर्शन दूसरों के लिए है. खुद बीजेपी ‘बिना खर्चे का चुनाव’ लड़ने वाली गणित से कोसों दूर है. इस पार्टी का सिर्फ चंदा और चुनाव प्रचार के खर्च का आंकड़ा निकाल लिया जाए तो पता चलता है कि ये ‘पर उपदेस कुसल बहुतेरे’ है.

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