जानिए नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में क्यों नहीं उतरीं प्रियंका गांधी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में ख़ुद को 'गंगा पुत्र' बताते हैं, वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जब फूलपुर जाती हैं तो उनका स्वागत 'गंगा की बेटी' कहकर किया जाता है. दोनों एक-दूसरे को चुनावी रैलियों में निशाने पर लेते हैं और कयास भी लगाए जा रहे थे कि दोनों एक-दूसरे से चुनावी मैदान में भिड़ेंगे.
लेकिन गुरुवार को जब कांग्रेस ने वाराणसी के लिए अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा की तो इन सभी कयासों पर विराम लग गया. कुछ दिन पहले जब मीडिया ने उनसे बनारस से चुनाव लड़ने पर पूछा था तो उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी चाहेगी तो वो चुनाव लड़ेंगी. अपनी चुनावी यात्रा के दौरान प्रियंका ने बनारस का भी दौरा किया, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया.
पर इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें बनारस से चुनावी मैदान में नहीं उतारा. इसके पीछे क्या वजह रही होगी? जवाब में वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी कहते हैं कि "प्रियंका को मैदान में उतारने का सवाल सिर्फ़ एक सनसनी मचाने के लिए था, कोई गंभीर सवाल नहीं था, इसे पहले से ही समझा जाना चाहिए था."
"अगर प्रियंका गांधी अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत करेंगी तो वो मोदी से लड़कर तो नहीं ही करना चाहेंगी, क्योंकि कई संभावनाओं के बाद भी उनकी जीत की उम्मीद नहीं की जा सकती."
वो कहते हैं कि प्रियंका को अगर चुनाव लड़ना होगा तो वो रायबरेली या किसी और सीट से लड़ेंगी. शुरुआत में रायबरेली से उनके लड़ने की बात भी सामने आ रही थी और यहां से उनका संसद जाने का रास्ता आसान होता, न कि बनारस से. पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें आती हैं, जिनमें से 27 पर भाजपा काबिज़ है. इनमें वाराणसी भी शामिल है जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद है.

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