किरण खेर की राह नहीं आसान, भाजपा में गुटबाजी खड़ी कर सकती है बड़ी मुश्किल

अपने पति अनुपम खेर के दम पर सांसद किरण खेर ने शहर से टिकट लेकर एक बाजी जीत ली है, लेकिन खेर की राह आसान नहीं है, क्योंकि किरण खेर को अपने ही पार्टी के नेताओं के भितरघात का सामना करना पड़ेगा। खेर को टिकट न मिलने से टंडन गुट नाराज है। इस समय पार्टी में खेर और टंडन के बीच की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। संगठन पर भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन का कब्जा है। नगर निगम में 19 भाजपा के पार्षद हैं, जिनमें से 10 टंडन और 9 सांसद किरण खेर के करीबी हैं। सदन की बैठक में दो गुट आपस में कई बार भिड़ चुके हैं। टिकट के लिए खेर और टंडन गुट ने जमकर एक-दूसरे के खिलाफ हाईकमान में शिकायतें भी की हैं। संजय टंडन पिछले 10 साल से पार्टी के अध्यक्ष हैं। जबकि भाजपा संविधान के अनुसार कोई भी दो कार्यकाल छह साल से ऊपर अध्यक्ष नहीं रह सकता है। इसके बावजूद टंडन टिकट लेने में नाकाम रहे।
किरण खेर के उम्मीदवार बनने से अब शहर में राजनीति की तस्वीर साफ हो गई है। बुधवार से सभी दल अपना प्रचार तेज कर देंगे। अभी तक कांग्रेस और आप ही प्रचार कर रहे थे, लेकिन अब किरण खेर अपना प्रचार तेज कर देंगी। देरी से टिकट मिलने में जो प्रचार में अब तक नुकसान हुआ है, उसे भी किरण खेर को पूरा करना है। वहीं, निर्दलीय पार्षद दलीप शर्मा अब खेर के साथ ही रहेंगे। जबकि पहले यह माना जा रहा था कि खेर को टिकट न मिलने पर शर्मा कांग्रेस या आप में शामिल हो जाएंगे।

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