पूर्व BJP सांसद अब जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रशांत किशोर के भरोसेमंद नेता को मिली जिम्मेदारी
जन सुराज पार्टी के गठन से पहले ही इस नाम को अपने भरोसेमंद लोगों के माध्यम से चुनाव आयोग में पंजीकृत कराने वाले पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह, जिन्हें लोग पप्पू सिंह के नाम से भी जानते हैं, को अब जन सुराज पार्टी का प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया
Ai Summary
Author Image
Molitics Desk
19 May 2025
image

जन सुराज पार्टी के गठन से पहले ही इस नाम को अपने भरोसेमंद लोगों के माध्यम से चुनाव आयोग में पंजीकृत कराने वाले पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह, जिन्हें लोग पप्पू सिंह के नाम से भी जानते हैं, को अब जन सुराज पार्टी का प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया है। इस अहम घोषणा को स्वयं प्रशांत किशोर ने सार्वजनिक रूप से किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी की कोर कमिटी, जिसमें 150 सदस्य शामिल हैं, ने यह निर्णय किसी मतभेद या विभाजन के साथ नहीं बल्कि पूर्ण सहमति से लिया है। पप्पू सिंह का राजनीतिक करियर काफी अनुभवी और विविधताओं से भरा हुआ है। वह पूर्णिया लोकसभा सीट से दो बार भारतीय जनता पार्टी के सांसद रह चुके हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण विकास कार्यों को भी गति दी थी। वर्ष 2019 में जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीटों के पुनर्वितरण के चलते यह सीट जनता दल यूनाइटेड के हिस्से में चली गई, तब उन्होंने कांग्रेस का दामन थामते हुए उसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 


कांग्रेस से दूरी बनाने के बाद वह कुछ समय से जन सुराज अभियान के सक्रिय समर्थक बन गए हैं और प्रशांत किशोर के राजनीतिक विचारों से भी गहराई से प्रभावित हुए हैं। प्रशांत किशोर वर्तमान में जिस शेखपुरा हाउस में रहते हैं, वह मकान भी पप्पू सिंह का ही है, जो इस साझेदारी और विश्वास को दर्शाता है। यह बंगला अब न सिर्फ़ उनका निवास स्थान है, बल्कि उसी परिसर का एक हिस्सा जन सुराज पार्टी के कार्यालय के रूप में भी उपयोग में लाया जा रहा है। इस बात से यह भी स्पष्ट होता है कि पप्पू सिंह ने न केवल संगठन को वैचारिक रूप से समर्थन दिया है, बल्कि उसके संसाधनों और आधारभूत संरचना को भी मजबूती प्रदान की है। पप्पू सिंह का पारिवारिक और प्रशासनिक पृष्ठभूमि भी अत्यंत प्रभावशाली है। उनके पिता टी.पी. सिंह ब्रिटिश काल में प्रतिष्ठित आईसीएस अधिकारी थे, जिसे आजादी के बाद आईएएस कहा जाने लगा। उनकी मां माधुरी सिंह दो बार पूर्णिया से सांसद रह चुकी हैं और सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। उनके भाई एन.के. सिंह भी लंबे समय तक जेडीयू के राज्यसभा सांसद रहे हैं और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के करीबी माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त, उनकी बहन श्यामा सिंह और बहनोई निखिल कुमार भी राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं और औरंगाबाद से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं।

निखिल कुमार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा के सुपुत्र हैं, जिससे पप्पू सिंह का परिवार राजनीतिक विरासत और अनुभव से समृद्ध है। बीपीएससी आंदोलन के दौरान जब प्रशांत किशोर के अनशन में इस्तेमाल की गई वैनिटी वैन को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था, तब पप्पू सिंह ने स्वयं आगे आकर स्पष्ट किया था कि वह वाहन उनका था और उन्होंने उसे प्रशांत किशोर को निजी मित्रता के आधार पर उपयोग के लिए दिया था। इस घटना से यह भी सिद्ध होता है कि पप्पू सिंह शुरू से ही न केवल प्रशांत किशोर के करीबी रहे हैं बल्कि जन सुराज की नींव रखने में उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। पप्पू सिंह ने यह भी बताया कि जब प्रशांत किशोर बिहार में अपनी ऐतिहासिक पदयात्रा कर रहे थे, उस समय वे राजनीतिक दल बनाने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन पप्पू सिंह, जो वर्षों से राजनीति के उतार-चढ़ाव और रणनीति को भलीभांति समझते हैं, ने यह आशंका जताई थी कि कोई और व्यक्ति या समूह 'जन सुराज' नाम को हथिया सकता है। इसी आशंका के कारण उन्होंने एहतियातन इस नाम को अपने लोगों के माध्यम से पहले ही चुनाव आयोग में पंजीकृत करा लिया था। उनका यह कदम न केवल दूरदर्शिता का उदाहरण है, बल्कि संगठन की वैधता और पहचान को सुरक्षित रखने की कोशिश भी थी।

Related Articles & News

Explore More >