ईरानी मीडिया का दावा- इजरायल की मिलिट्री इंटेलिजेंस और मोसाद को बनाया गया टारगेट
तेहरान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मिसाइल अटैक का मुख्य केंद्र इजरायली मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसी 'अमान' (Aman) और राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी 'मोसाद' (Mossad) के लॉजिस्टिक और मुख्यालय क्षेत्र थे।
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Molitics Desk
17 June 2025
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पश्चिम एशिया में जारी इजरायल-ईरान संघर्ष और अधिक उग्र होता जा रहा है। बीते कुछ दिनों में दोनों देशों के बीच मिसाइल और ड्रोन हमलों का सिलसिला तेज़ हो गया है। इस भीषण टकराव में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि सैकड़ों इमारतें मलबे में तब्दील हो चुकी हैं।


 ईरान ने एक और मिसाइल हमला कर इजरायली खुफिया एजेंसियों के महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया है। तेहरान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मिसाइल अटैक का मुख्य केंद्र इजरायली मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसी 'अमान' (Aman) और राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी 'मोसाद' (Mossad) के लॉजिस्टिक और मुख्यालय क्षेत्र थे। हमला विशेष रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों (Israeli-occupied territories) को निशाना बनाकर किया गया था। ईरान की ओर से इसे मौजूदा संघर्ष का 10वां बड़ा हमला बताया जा रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो फुटेज में हाइफा स्थित एक प्रमुख पावर प्लांट को आग की लपटों में घिरा देखा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमले के बाद पूरे क्षेत्र में ब्लैकआउट हो गया। हालांकि इजरायल सरकार ने अब तक इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। बताया जा रहा है कि ग्लीलोट स्थित अमान के लॉजिस्टिक सेंटर पर मिसाइलों से सीधा हमला हुआ, जहां सैन्य खुफिया अभियानों का संचालन होता है। वहीं, हर्ज़लिया स्थित मोसाद मुख्यालय और यूनिट 8200 के गुप्त ठिकानों को भी क्षतिग्रस्त किए जाने का दावा है। यूनिट 8200, इजरायल की साइबर और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी इकाई मानी जाती है।

इन हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए इजरायली रक्षा बलों ने इसे स्थानीय नुकसान बताते हुए बस स्टैंड और पार्किंग क्षेत्रों में नुकसान का जिक्र किया। हालांकि ईरानी मीडिया का दावा है कि यह जानबूझकर दी गई भ्रामक जानकारी है और असली नुकसान खुफिया संरचनाओं को हुआ है। गौरतलब है कि मौजूदा टकराव की शुरुआत बीते शुक्रवार को हुई थी, जब इजरायल ने तेहरान के आवासीय इलाकों और न्यूक्लियर साइट्स पर व्यापक हवाई हमले किए थे। इन हमलों में अब तक 7 ईरानी सैन्य अधिकारी, 9 परमाणु वैज्ञानिक और 220 से अधिक नागरिक मारे जा चुके हैं।

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