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घर के भीतर SC-ST जाति के लोगों पर अपमानित टिप्पणी करना कोई अपराध नहीं- सुप्रीम कोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घर की चारदीवारी के अंदर अगर कोई व्यक्ति किसी SC-ST जाति के व्यक्ति पर अपमानजनक टिप्पणी करता है और उसका कोई गवाह नहीं रहता तो वह अपराध नहीं माना जाएगा.
- इसी बयान के साथ सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता पर लगा अनुसूचित जाति-जनजाति एक्ट के तहत मुकदमा रद्द करने का आदेश दिया है. मामला ये था कि एक व्यक्ति ने एक महिला को कथित तौर पर गाली दी थी.
- SC-ST एक्ट के तहत सभी तरह के अपमान और धमकियां नहीं आतीं. इसके तहत वे ही मामले आते हैं जिसमें SC-ST जाति के व्यक्ति को सामाजिक तौर पर अपमानित या उत्पीड़ित किया गया हो.
- पीठ ने यह भी कहा कि इसे तभी अपराध माना जाएगा जब विवादित टिप्पणी को किसी ने सुना हो या किसी ने देखा हो. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों का कोई आधार नहीं है.
- बता दें कि उत्तरखंड में एक महिला को कथित तौर पर एक पुरुष ने घर के अंदर गाली दी थी जिसके बाद कोर्ट में मुकदमा चल रहा था. गवाह की कमी के कारण याचिका रद्द कर दी गई है.
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