हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने सोनिया गांधी से मुलाकात की, गुलाम नबी भी मौजूद रहे

हरियाणा कांग्रेस गुटबाजी के बीच बुधवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से 10 जनपथ पर मुलाकात की। इस दौरान हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे। मुलाकात करीब आधा घंटा चली। मुलाकात से पहले और बाद में भूपेंद्र सिंह हुड्डा मीडिया से बात करने से बचते नजर आए। चर्चा है कि हरियाणा में कांग्रेस के भीतर हो रही गुटबाजी पर सोनिया गांधी ने सख्ती दिखाते हुए हुड्डा को तलब किया था। 
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस में गतिविधियां तेज हो गई हैं। मंगलवार को चर्चा था कि आला कमान ने राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा, दीपेंद्र हुड्डा और कैप्टन अजय यादव समेत कई नेताओं को मुलाकात के लिए बुलाया है। इनमें से किसी को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है। हालांकि अशोक तंवर ने इसका खंडन किया है। तंवर ने कहा है कि हरियाणा कांग्रेस में कोई बदलाव नहीं होगा। नेतृत्व परिवर्तन की अभी कोई चर्चा नहीं है। तंवर ने कहा कि नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा पिछले पांच साल से चल रही है, जिसको रोना है वो रोता रहे। 
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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने बीती 18 अगस्त को रोहतक में महापरिवर्तन रैली कर कांग्रेस आलाकमान पर दबाव डालने का पूरा प्रयास किया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस भटक चुकी है, मैं खुद को अतीत से मुक्त करता हूं। हुड्डा ने 38 सदस्यों की एक कमेटी बनाने का फैसला किया था, जिसे यह तय करना था कि हुड्डा कांग्रेस में रहेंगे या नहीं। हालांकि अभी तक यह कमेटी कुछ तय नहीं कर पाई है। हुड्डा ने यह कदम कांग्रेस आला कमान पर दबाव बनाने के लिए किया था।
तंवर भले ही खुद को प्रदेशाध्यक्ष कहते हों लेकिन हुड्डा ने इसे कभी नहीं माना। हुड्डा और तंवर खेमे का विरोध समय-समय पर कांग्रेस में सामने आता रहा है। फिर चाहे वह पगड़ी विवाद हो या फिर नारेबाजी करना। हुड्डा आगामी विधानसभा चुनाव में तंवर को किनारे कर पूरी कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं। कांग्रेस के आपसी विवाद की वजह से विधानसभा चुनाव नजदीक आने के बाद भी कांग्रेस पार्टी चुनावी रेस में पीछे नजर आ रही है। अभी तक कोई तैयारी नहीं है। जहां एक तरफ भाजपा तेजी से प्रचार अभियान चलाए हुए है, वहीं कांग्रेस अंदरुनी कलह में फंसी हुई है। इसी के चलते आला कमान इस मुद्दे पर कठोर फैसला लेने वाला है, ताकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर सके। 

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